2024 खत्म होने को है और नया साल आ रहा है, हम एक नई श्रृंखला की शुरुआत कर रहे हैं, जो भारत के दिल से जुड़े उन साहित्यिक सितारों कोसमर्पित है, जिन्होंने डिजिटल फेम का पीछा नहीं किया, लेकिन अपनी कविताओं, कथाओं और लोककथाओं के माध्यम से साहित्य को एक नईऊँचाई तक पहुँचाया। इनमें से एक महान नाम है मोहन आलोक, जो हाल ही में हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी साहित्यिक धरोहर आज भी जीवितहै। राजस्थान के इस प्रख्यात कवि और कहानीकार ने अपने शब्दों से राजस्थान की संस्कृति को नए सिरे से जीवित किया और अनगिनत किताबों केरूप में अमिट छाप छोड़ी।
मोहन आलोक का काम डिजिटल युग के शोर से परे था। उन्हें सोशल मीडिया की जरूरत नहीं थी, क्योंकि उनकी कविताएँ अपने आप में पूरी थीं।उनका प्रसिद्ध कविता संग्रह 'G-geet' उन्हें 1983 में केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार दिलाने में सफल रहा। रचनात्मकता की दिशा में उनकी राह मेंहमेशा एक अडिग मार्गदर्शक रहे—हरिवंश राय बच्चन। मोहन आलोक ने खुद बताया था कि कैसे बच्चन जी की सूक्ष्म सलाहों और मार्गदर्शन ने उनकीलेखनी को नया आकार दिया। यह साहित्यिक रिश्ते की अनोखी मिसाल थी, जो आज भी प्रेरणा देती है।
आज के डिजिटल दौर में जब हर कोई अपनी आवाज़ को ऑनलाइन चिल्ला रहा है, मोहन आलोक जैसे लेखक हमें यह सिखाते हैं कि असली साहित्यवह होता है जो समय की कसौटी पर खरा उतरता है। उनका काम न केवल राजस्थान की लोककथाओं और संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि यह भीदिखाता है कि शब्दों की शक्ति केवल प्रसिद्धि में नहीं, बल्कि दिलों में बसने में है।
आखर जैसे मंच, जो प्रभा खैतान फाउंडेशन द्वारा शुरू किया गया, आज भी मोहन आलोक जैसी रचनात्मकता को प्रदर्शित करता है, ताकि हम उनकेजैसे महान लेखकों के योगदान को याद रख सकें।
उनका साहित्यिक बंधन और हरिवंश राय बच्चन से मिला मार्गदर्शन हमेशा हमारे साथ रहेगा।
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