मुंबई, 27 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कोलकाता के लॉ कॉलेज में एक छात्रा से हुए गैंगरेप के मामले में तीनों आरोपियों को कोर्ट ने शुक्रवार को 10 जुलाई तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। घटना 25 जून को कॉलेज परिसर के ग्राउंड फ्लोर स्थित गार्ड रूम में हुई थी। इस मामले में पुलिस ने 26 जून को दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि तीसरे आरोपी को 27 जून की रात गिरफ़्तार किया गया।
पुलिस के अनुसार आरोपियों में मोनोजीत मिश्रा, जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी शामिल हैं। मोनोजीत मिश्रा मुख्य आरोपी है और कॉलेज का पूर्व छात्र है, जबकि बाकी दोनों वर्तमान में छात्र हैं। पुलिस की FIR के मुताबिक, मोनोजीत ने पीड़िता को शादी का प्रस्ताव दिया था, जिसे उसने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वह पहले से किसी और को पसंद करती है। उसी दिन कॉलेज में फॉर्म संबंधित कार्य के लिए गई पीड़िता को आरोपियों ने रोक लिया और गार्ड रूम में ले जाकर बंद कर दिया। पीड़िता ने बताया कि उसने आरोपियों से छोड़ देने की गुहार लगाई, उनके पैर पकड़े, लेकिन रात 10 बजे तक उसके साथ बलात्कार किया गया। आरोपियों ने इस दौरान वीडियो भी बनाया और हॉकी से मारने की धमकी दी। जब पीड़िता को छोड़ा गया, तब उसे चेतावनी दी गई कि अगर उसने किसी को कुछ बताया तो वीडियो को वायरल कर दिया जाएगा।
इस घटना को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज हो गई है। भाजपा ने आरोप लगाया कि मुख्य आरोपी मोनोजीत तृणमूल कांग्रेस की छात्र इकाई से जुड़ा है। TMC ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि वह सिर्फ जूनियर सदस्य था और कॉलेज में छात्र इकाई सक्रिय नहीं है। तृणमूल स्टूडेंट विंग के प्रमुख तृणकुर भट्टाचार्य ने कहा कि यह घटना अत्यंत पीड़ादायक है और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पश्चिम बंगाल की महिला एवं बाल विकास मंत्री शशि पांजा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्य विधानसभा में पारित 'अपराजिता विधेयक' जो बलात्कारियों को फांसी की सज़ा देने का प्रस्ताव रखता है, अभी तक कानून नहीं बन पाया क्योंकि भाजपा ने इसका विरोध किया। उन्होंने भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक महिला का शरीर किसी भी पार्टी की राजनीति का मैदान नहीं होना चाहिए, बल्कि उसका सम्मान किया जाना चाहिए।
वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए कोलकाता पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखा है। आयोग की चेयरपर्सन विजया रहाटकर ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष और समयबद्ध जांच हो, पीड़िता को चिकित्सा, मानसिक और कानूनी सहायता मिले और उसे उचित मुआवजा दिया जाए। इस केस में तीनों आरोपियों के मोबाइल फोन पुलिस ने जब्त कर लिए हैं। कॉलेज प्रशासन ने पुष्टि की है कि मोनोजीत को अस्थायी तौर पर संस्थान की गवर्निंग बॉडी द्वारा नियुक्त किया गया था और वह पूर्व छात्र है।