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चीन ने कोरोना के बाद अब तैयार किया नया वायरस ‘Fusarium’, अमेरिका ने खोला ड्रैगन का ये ‘राज’

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Posted On:Wednesday, June 4, 2025

चीन की वैश्विक महत्वाकांक्षा लगातार बढ़ रही है। केवल सीमा विवाद या आर्थिक दबाव ही नहीं, बल्कि अब जैविक हथकंडों के जरिए भी चीन दूसरे देशों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI ने हाल ही में एक बड़ी जैविक साजिश का पर्दाफाश किया है, जिसमें दो चीनी नागरिकों को अमेरिका में खतरनाक फंगस (फंगस = कवक) “Fusarium graminearum” की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इस फंगस को ‘ड्रैगन के नए राज’ के तौर पर देखा जा रहा है, जो आर्थिक और सामाजिक रूप से अमेरिका को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।


फंगस किसे कहते हैं ‘Fusarium graminearum’ और इसकी खतरनाक प्रकृति

Fusarium graminearum एक प्रकार का फंगस है, जो मुख्यतः गेहूं, जौ, मक्का, और चावल जैसे अनाज की फसलों में संक्रमण फैलाता है। यह फंगस फसलों को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है, जिससे किसानों और देश की खाद्य सुरक्षा दोनों पर गंभीर संकट आ सकता है।

यह फंगस न केवल कृषि को प्रभावित करता है, बल्कि जब इंसान के शरीर में जाता है तो उल्टी, दस्त, और लीवर की खराबी जैसी गंभीर बीमारियां पैदा करता है, जो घातक साबित हो सकती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, जब तक डॉक्टरों को इस वायरस की पहचान होती है, तब तक मरीज की हालत गंभीर हो चुकी होती है।


आरोपियों की पहचान और उनकी साजिश

FBI ने जिन दो चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, उनकी पहचान Yunqing Jian (33) और Zunyong Liu (34) के रूप में हुई है। Jian अमेरिका की एक विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं, जबकि Liu चीन की एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। दोनों को अमेरिका में इस जानलेवा फंगस की तस्करी और उसे फैलाने की साजिश के आरोप में पकड़ा गया है।

जांच में पता चला है कि Liu की गर्लफ्रेंड अमेरिका के University of Michigan की लैब में काम करती है, जिससे साजिश की कनेक्शन और भी गहरी लगती है। उनका मकसद था इस फंगस पर प्रयोग करना, ताकि इसे और अधिक प्रभावशाली तरीके से फैलाया जा सके।

अमेरिकी जांच एजेंसियों ने इनके खिलाफ साजिश रचना, तस्करी, और वीजा धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगाए हैं। हालांकि पूछताछ के दौरान दोनों आरोपी झूठ बोल रहे हैं और अपने बयान बार-बार बदल रहे हैं, जिससे उनकी संदिग्धता और बढ़ जाती है।


‘Potential Agroterrorism Weapon’ यानी कृषि आतंकवाद का हथियार

अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, Fusarium graminearum को ‘potential agroterrorism weapon’ यानी एक संभावित कृषि आतंकवाद के हथियार के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसका इस्तेमाल एक देश द्वारा दूसरे देश की फसलों को तबाह करने के लिए किया जा सकता है।

अगर कोई देश जानबूझकर अपने विरोधी देश की खाद्य फसलों में यह फंगस फैलाता है, तो इससे फसलें पूरी तरह से खराब हो जाती हैं। इसका असर न सिर्फ किसानों पर पड़ता है, बल्कि सरकारों को भी भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इस वजह से कई देश खाद्य संकट का सामना करते हुए दूसरे देशों से अनाज मंगाना या कर्ज लेना पड़ता है।


चीन की भूमिका और अमेरिकी जांच एजेंसियों की कार्रवाई

FBI और US Customs तथा Border Protection एजेंसियां इस मामले की गहन जांच में जुटी हैं। जांच के दौरान यह सामने आया है कि गिरफ्तार आरोपियों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से फंडिंग मिल रही थी। यह मामला चीन द्वारा जैविक हथकंडों के जरिए अमेरिकी खाद्य और आर्थिक सुरक्षा को निशाना बनाने की एक गंभीर साजिश को दर्शाता है।

अमेरिका के लिए यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है, बल्कि किसानों और आम जनता की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भी खतरा है। FBI ने आरोपियों को कोर्ट में पेश कर आगे की जांच तेज कर दी है।


चीन की वैश्विक रणनीति और जैविक हथकंडे

चीन न केवल सीमाओं के अंदर दबाव बढ़ा रहा है, बल्कि अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए जैविक और तकनीकी हथियारों का भी इस्तेमाल कर रहा है। Fusarium graminearum की तस्करी इस बात का सबूत है कि चीन अपनी रणनीति में जैविक युद्ध को भी शामिल कर चुका है।

कोरोना महामारी के बाद चीन पर जैविक हथियारों और वायरस फैलाने के आरोप लगते रहे हैं। अब यह फंगस मामला इस कड़ी में एक और गंभीर घटना के रूप में सामने आया है।


निष्कर्ष

चीन की यह जैविक साजिश अमेरिका के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि वैश्विक राजनीति में अब जैविक हथियारों का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है। Fusarium graminearum जैसे फंगस से न केवल फसलें प्रभावित होती हैं, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी घातक हो सकता है।

अमेरिकी एजेंसियां इस मामले को गंभीरता से ले रही हैं और जांच जारी है। वैश्विक समुदाय को भी जैविक आतंकवाद से निपटने के लिए सजग और सक्रिय रहने की जरूरत है।

चीन की इस रणनीति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वैश्विक सुरक्षा केवल सैन्य या आर्थिक शक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि जैविक और पर्यावरणीय सुरक्षा भी आज की नई लड़ाई का हिस्सा है। इसलिए सभी देशों को इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे ताकि वैश्विक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।


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