अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने फैसलों को लेकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। इस बार मामला सीधे तौर पर भारत से जुड़ा है। ट्रंप प्रशासन ने ऐलान किया है कि H-1B वीजा पर अब अतिरिक्त $100,000 सालाना फीस ली जाएगी। यह नया नियम 21 सितंबर 2025 से लागू होगा। इसका सीधा असर भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और अमेरिकी कंपनियों पर पड़ेगा, जो बड़ी संख्या में भारतीय प्रतिभाओं को H-1B के तहत नौकरी पर रखती हैं।
भारत को बड़ा झटका, भारतीयों पर सीधा असर
H-1B वीजा के तहत अमेरिका में सबसे ज्यादा भारतीय पेशेवर काम करते हैं। ये वीजा विशेष रूप से तकनीकी और विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों के लिए होते हैं। हर साल अमेरिका लाखों H-1B वीजा जारी करता है, जिनमें 70% से अधिक भारतीयों को मिलते हैं। ऐसे में ट्रंप द्वारा लगाई गई अतिरिक्त फीस न केवल भारतीय कामगारों बल्कि अमेरिकी कंपनियों के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।
ट्रंप के खिलाफ अमेरिका में ही उठी आवाज
ट्रंप के इस फैसले पर अमेरिका में राजनीतिक विरोध भी तेज हो गया है। न्यू जर्सी के गवर्नर फिल मर्फी, जो इस समय भारत दौरे पर हैं, ने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप की H-1B नीति पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा:
“जब नई सरकारें आती हैं, तो अक्सर जरूरत से ज्यादा सुधार कर देती हैं। शुरुआत में वे अति पर पहुंच जाती हैं, और फिर समय के साथ औसत पर लौट आती हैं। मुझे उम्मीद है कि इस बार भी ऐसा ही होगा।”
फिल मर्फी ने यह भी कहा कि यह फैसला अत्यधिक और असंतुलित है और इससे भारत-अमेरिका के रिश्तों पर असर पड़ सकता है।
टैरिफ विवाद भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
H-1B विवाद के अलावा ट्रंप का एक और निर्णय अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है – टैरिफ नीति। ट्रंप ने कुछ उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लागू करने का निर्णय लिया है, जिससे अमेरिकी उद्योग और उपभोक्ता दोनों चिंतित हैं। मर्फी ने टैरिफ को लेकर भी असहमति जताते हुए कहा:
“रूस को जो मिल रहा है, वह उसके लायक है, लेकिन ऐसा कोई तरीका होना चाहिए जिससे आप दुनिया के अपने सबसे अहम रिश्तों को बिना नुकसान पहुंचाए अपने हितों की रक्षा कर सकें।”
2,000 भारतीय छात्र अब भी वीजा का इंतजार कर रहे हैं
गवर्नर मर्फी ने भारत के लिए एक और चिंता जताई – छात्र वीजा। उन्होंने खुलासा किया कि 2,000 से अधिक भारतीय छात्र अब भी अपने वीजा का इंतजार कर रहे हैं। यह केवल H-1B ही नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के भविष्य का भी सवाल बन चुका है।
“हमें छात्र वीजा के मामले में साझा समाधान तलाशने की जरूरत है। मेरा मानना है कि यह रातों-रात नहीं होगा, लेकिन हमें इस दिशा में तेजी से काम करना होगा।”
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप के फैसले फिलहाल न केवल अमेरिका के अंदर राजनीति का मुद्दा बने हैं, बल्कि इससे भारत-अमेरिका संबंधों पर भी असर पड़ सकता है। H-1B वीजा पर अतिरिक्त शुल्क और टैरिफ जैसे फैसले अमेरिका में ही आलोचना का शिकार हो रहे हैं। गवर्नर मर्फी जैसे नेता इसका खुला विरोध कर रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप इन नीतियों पर पुनर्विचार करेंगे या विवादों के बीच अडिग रहेंगे।