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दिवाली के बाद बिहार में दो चरणों में मतदान, 14 नवंबर को खुलेगा नतीजों का पिटारा, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Monday, October 6, 2025

मुंबई, 06 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का सोमवार शाम चुनाव आयोग ने ऐलान कर दिया। राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में वोटिंग होगी। पहले चरण में 6 नवंबर और दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान कराया जाएगा, जबकि नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। आयोग ने बताया कि चुनाव से लेकर मतगणना तक की पूरी प्रक्रिया 40 दिन चलेगी। इस बार मतदान की तारीखें छठ और दिवाली के बाद रखी गई हैं, जैसा कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अनुरोध किया था। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधु और डॉ. विवेक जोशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार चुनाव से जुड़ी जानकारी साझा की। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनसे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन, फर्जी वोटिंग, फ्रीबीज, वेबकास्टिंग और त्योहारों के बीच चुनाव की टाइमिंग को लेकर कई सवाल पूछे गए, जिनका उन्होंने विस्तार से जवाब दिया।

CEC ज्ञानेश कुमार ने बताया कि 30 सितंबर को स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की अंतिम सूची जारी की गई थी, जिसमें करीब 69 लाख नाम हटाए गए। इनमें मृत मतदाता, डुप्लिकेट वोट, स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाता और गैर-भारतीय नागरिक शामिल थे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की प्राथमिक जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि हर प्रक्रिया कानूनी रूप से पूरी हो और किसी तरह का राजनीतिक दबाव चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित न करे। छठ पर्व को लेकर उठे सवालों पर CEC ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों की राय थी कि चुनाव छठ और दिवाली के बाद कराए जाएं। आयोग ने स्थानीय परिस्थिति, नामांकन और प्रचार के लिए आवश्यक समय को ध्यान में रखते हुए यही शेड्यूल तय किया।

फर्जी वोटिंग और बुर्कानशीं मतदाताओं के मुद्दे पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि पहचान सत्यापन की प्रक्रिया सख्त होगी। यदि किसी मतदाता का चेहरा ढंका हुआ है तो बूथ पर मौजूद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जरूरत पड़ने पर पहचान सत्यापित करेंगी। आयोग ने यह भी कहा कि पहचान से संबंधित नियमों का पालन सख्ती से कराया जाएगा। 100% वेबकास्टिंग को लेकर उठे सवाल पर CEC ने कहा कि यह रिकॉर्डिंग सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सिर्फ अदालत के अनुरोध पर ही साझा की जा सकती है। किसी भी मतदाता ने वोट डाला या नहीं, यह उसकी गोपनीयता के अधिकार के अंतर्गत आता है और सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। चुनाव के दौरान फ्रीबीज (मुफ्त उपहार या योजनाओं के वादे) पर आयोग ने कहा कि आचार संहिता लागू होने के बाद ऐसे किसी भी मामले पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। अगर किसी पार्टी द्वारा नियमों का उल्लंघन किया गया तो तय प्रक्रिया के तहत सख्त कार्रवाई होगी।


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