मुंबई, 07 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। केरल हाईकोर्ट ने सबरीमाला मंदिर के द्वारपालकों की मूर्तियों से सोने की चोरी के मामले में गंभीर चिंता जताई है। सोमवार को हुई सुनवाई में अदालत ने कहा कि इस मामले से जुड़े आरोपी उन्नीकृष्णन पोट्टी द्वारा त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) को भेजे गए ईमेल से स्पष्ट होता है कि बोर्ड के अंदर कई अनियमितताएं चल रही हैं। पोट्टी ने ईमेल में लिखा था कि उन्होंने मंदिर के मुख्य द्वार और द्वारपालक मूर्तियों पर सोने की परत चढ़ाने के बाद कुछ सोना बचा लिया था और उसे एक जरूरतमंद लड़की की शादी में टीडीबी के सहयोग से उपयोग करना चाहते हैं। जस्टिस राजा विजयराघवन वी और जस्टिस केवी जयकुमार की बेंच ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित की है, जिसे छह हफ्ते के भीतर रिपोर्ट पेश करनी होगी। अदालत ने निर्देश दिया है कि यह जांच पूरी गोपनीयता और निष्पक्षता के साथ की जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि 2019 में मूर्तियों को सोने की परत चढ़ाने के लिए सौंपा गया था, जबकि जांच में सामने आया कि उन पर पहले से ही 1999 में सोना चढ़ाया गया था। इस तथ्य ने चोरी की संभावना को मजबूत कर दिया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह खुलासा चिंताजनक है और इससे प्रतीत होता है कि त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के अधिकारी भी इस पूरे मामले में शामिल हो सकते हैं। अदालत ने माना कि यह सिर्फ पोट्टी या उनकी कंपनी स्मार्ट क्रिएशंस की गलती नहीं है, बल्कि बोर्ड के कुछ अधिकारी भी इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार हैं। रिकॉर्ड से साफ दिखता है कि उन्हें सोने के अवैध ट्रांसफर की जानकारी थी। इसी बीच, त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड ने कार्रवाई करते हुए हरिपाद के डिप्टी देवास्वोम कमिश्नर बी मुरारी बाबू को निलंबित कर दिया है। आरोप है कि उन्होंने 2019 में मंदिर के कार्यकारी अधिकारी को सौंपी रिपोर्ट में मूर्तियों को गलत तरीके से तांबे की बताया था, जबकि वे सोने की थीं। बोर्ड ने इसे गंभीर लापरवाही माना है। हालांकि, बाबू ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्होंने मंदिर के तांत्री की राय लेकर ही रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें तांबा साफ दिखाई दे रहा था, इसलिए सोना चढ़ाने की सिफारिश की गई थी।
मामला तब शुरू हुआ जब 2019 में उन्नीकृष्णन पोट्टी ने अपने खर्च पर मंदिर की मूर्तियों और अन्य कीमती वस्तुओं पर सोने की परत चढ़ाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे टीडीबी ने मंजूरी दे दी थी। इसके तहत कुल 42.8 किलोग्राम वजन वाले इन वस्तुओं को पोट्टी की कंपनी स्मार्ट क्रिएशंस, चेन्नई को सौंपा गया था। अगले साल पोट्टी ने इन्हें लौटाया, लेकिन बाद में उन्होंने ही शिकायत दर्ज कराई कि मूर्तियों के पीठम यानी आधार गायब हैं। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा। 29 सितंबर को हुई सुनवाई में भी अदालत ने टीडीबी को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि बोर्ड मंदिर की कीमती वस्तुओं का सही रिकॉर्ड नहीं रखता, जिससे गड़बड़ियों को छिपाने में आसानी होती है। अदालत ने यह भी कहा कि मंदिर में भक्तों द्वारा चढ़ाए गए आभूषणों और सिक्कों का तो रजिस्टर रखा जाता है, लेकिन मूर्तियों और अन्य धातु की वस्तुओं का कोई रिकॉर्ड नहीं है। मूर्तियों को फिर से स्थापित करते समय उनका वजन भी दर्ज नहीं किया गया, जिससे करीब चार किलो सोना गायब हो गया।