मुंबई, 11 फरवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के वेरिफिकेशन के लिए पॉलिसी बनाने की मांग वाली एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका पर सुनवाई हुई। ADR ने याचिका में कहा कि EVM के वेरिफिकेशन के लिए चुनाव आयोग की तरफ से बनाए गए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) सुप्रीम कोर्ट के अप्रैल 2024 में दिए गए फैसले से मेल नहीं खाते हैं। CJI संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने तक EVM में कोई डेटा रिलोड न करें, न कोई डेटा डिलीट करें। CJI ने कहा, 'यह कोई विरोध की स्थिति नहीं है। अगर हारने वाले उम्मीदवार को कोई स्पष्टीकरण चाहिए, तो इंजीनियर यह स्पष्ट कर सकता है कि कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है।' इलेक्शन कमीशन को अब सुप्रीम कोर्ट में EVM की मेमोरी और माइक्रो कंट्रोलर डिलीट करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी देनी होगी। अगली सुनवाई 3 मार्च से शुरू होने वाले हफ्ते में होगी।
CJI खन्ना ने चुनाव आयोग के वकील एडवोकेट मनिंदर सिंह से कहा कि अप्रैल 2024 में ADR vs इलेक्शन कमीशन केस में दिए गए फैसले का ये मतलब नहीं था कि EVM से चुनाव का डेटा डिलीट किया जाए, या रीलोड किया जाए। उस फैसले का मकसद यह था कि चुनाव होने के बाद EVM मैन्युफैक्चरिंग कंपनी का कोई इंजीनियर मशीन को वेरिफाई और चेक कर सके।
आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 3 निर्देश दिए थे, सिंबल लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस यूनिट को सील कर दिया जाए। सील की गई यूनिट को 45 दिन के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में स्टोर किया जाए। इलेक्ट्रॉनिक मशीन से पेपर स्लिप की गिनती के सुझाव का परीक्षण कीजिए। यह भी देखिए कि क्या चुनाव निशान के अलावा हर पार्टी के लिए बारकोड भी हो सकता है।