मुंबई, 06 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जोधपुर जेल में बंद सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक से जुड़ी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो की याचिका पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर के लिए तय की है। गीतांजलि अंगमो ने अपने पति की गिरफ्तारी को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गैरकानूनी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कार्पस याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया कि वांगचुक की गिरफ्तारी बिना उचित कारणों और प्रक्रिया के की गई है तथा उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई। सुनवाई के दौरान वांगचुक की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को हिरासत में लिए जाने के कारणों की जानकारी परिवार को नहीं दी गई है, जबकि यह कानूनी तौर पर आवश्यक है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हिरासत के कारण वांगचुक को बता दिए गए हैं और उनकी पत्नी को इसकी प्रति देने पर विचार किया जाएगा।
गौरतलब है कि 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को एनएसए के तहत हिरासत में लिया था। तब से वे जोधपुर जेल में बंद हैं। 2 अक्टूबर को उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर कर गिरफ्तारी को अवैध बताया। गीतांजलि ने सोशल मीडिया पर भी लिखा था कि गिरफ्तारी के एक सप्ताह बाद भी उन्हें पति की सेहत या हिरासत के कारणों की कोई जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें डिटेंशन ऑर्डर की कॉपी तक नहीं मिली, जो कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है। अंगमो ने आगे कहा कि उन्हें दिल्ली में लगातार निगरानी में रखा जा रहा है और एक कार उनका पीछा करती रहती है। उनके एक सहयोगी को भी हिरासत में लेकर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर चिंता जाहिर की और न्याय की गुहार लगाई।