बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी और आजमगढ़ में उत्तर प्रदेश सिविल कोर्ट चयन परीक्षा में फर्जीवाड़े का बड़ा मामला सामने आया है। परीक्षा में दूसरों की जगह देने वाले दो सॉल्वर वाराणसी में और चार सॉल्वर आजमगढ़ में पकड़े गए। इन सॉल्वरों का गैंग अभ्यर्थियों से परीक्षा पास कराने के नाम पर दो से दस लाख रुपये तक की रकम वसूलता था।
वाराणसी के लंका थाना प्रभारी शिवाकांत मिश्रा ने बताया कि सोमवार को दोनों सॉल्वरों को लौटूबीर अंडरपास से पकड़ा गया। उनकी पहचान झारखंड के गिरिडीह निवासी पवन कुमार और बिहार के नालंदा निवासी आशीष रंजन कुमार उर्फ पप्पू के रूप में हुई। इनसे फर्जी प्रवेश पत्र, आधार कार्ड, मोबाइल फोन और लैपटॉप बरामद किए गए हैं।
इससे पहले, 4 जनवरी को बीएचयू के केंद्रीय विद्यालय परीक्षा केंद्र से पकड़े गए सौरभ कुमार से पूछताछ के बाद इन दोनों सॉल्वरों की गिरफ्तारी हुई। पूछताछ में पता चला कि गैंग प्रतियोगी परीक्षाओं में सॉल्वर के जरिए अभ्यर्थियों को पास कराता है। इसके बदले अभ्यर्थी से दो लाख रुपये लिए जाते हैं। सॉल्वर को 50,000 रुपये दिए जाते हैं, जबकि बाकी रकम गैंग के सदस्य आपस में बांट लेते हैं।
आजमगढ़ में पुलिस ने इसी गिरोह के चार अन्य सॉल्वरों को पकड़ा है। इनके पास से एक अर्टिका कार, छह मोबाइल फोन, फर्जी आधार कार्ड, तीन एडमिट कार्ड और एक प्रश्न पुस्तिका बरामद हुई है। ये सभी आरोपित बिहार और गाजीपुर जिले के रहने वाले हैं। यहां पकड़े गए आरोपितों ने बताया कि गैंग अभ्यर्थियों से 10 लाख रुपये तक की रकम वसूलता था।
चार जनवरी को आजमगढ़ के शिब्ली नेशनल कॉलेज में परीक्षा के दौरान विकास कुमार नामक सॉल्वर पकड़ा गया। पूछताछ में उसने बताया कि वह गाजीपुर के अनूप सागर की जगह परीक्षा दे रहा था। अगले दिन अनूप को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद गाजीपुर के रामप्रवेश यादव, सुनील कन्नौजिया, अमित कुमार कन्नौजिया और बिहार के नालंदा निवासी अंकित को गिरफ्तार किया गया।
आजमगढ़ के पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना ने बताया कि इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है। गैंग की गतिविधियों और उनके संपर्कों की गहराई से जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।