बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी के रामापुरा इलाके में स्थित गुरुनानक खालसा स्कूल के सामने पुराने कब्रिस्तान की जमीन को लेकर विवाद गहरा गया है। मुतवल्ली अहमद जमाल ज्ञानी का आरोप है कि जिस जमीन पर उनके पूर्वजों की कब्रें हैं, वहां कुछ लोग फर्जी दस्तावेजों के सहारे कब्जा कर निर्माण करा रहे हैं। मुतवल्ली के मुताबिक, यह कब्रिस्तान 1291 फसली यानी 1883-84 से दर्ज है और इसका उल्लेख 2009 के दस्तावेजों में भी है। आराजी नंबर 208 और 210 में कब्रिस्तान और 209 में रास्ता दर्ज है, जिसे वक्फ बोर्ड में 2400 नंबर से दर्ज किया गया है।
मामले में अब कांग्रेस भी मुतवल्ली के समर्थन में उतर आई है। कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जो लोग जमीन पर कब्जा कर रहे हैं, उनका संबंध भाजपा से है और प्रशासन जानबूझकर कार्रवाई से बच रहा है। चौबे ने दावा किया कि इस जमीन को 300 साल पहले स्थानीय जमींदार ने कब्रिस्तान के रूप में दिया था और यह वक्फ की संपत्ति है, जिसपर न तो निर्माण किया जा सकता है और न ही किसी तरह का दान लिया जा सकता है।
कांग्रेस और मुतवल्ली की मांग है कि विवादित निर्माण कार्य को तत्काल रोका जाए और पूरे मामले की न्यायिक जांच कराई जाए। मुतवल्ली का कहना है कि उनके पास सारे वैध दस्तावेज मौजूद हैं, इसके बावजूद उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। यहां तक कि उन्होंने प्रधानमंत्री जनसंपर्क कार्यालय में भी पत्र सौंपा, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं आया। उनका आरोप है कि 2002 में लेखपाल द्वारा फर्जी कागज तैयार कर इस जमीन पर कॉमर्शियल इस्तेमाल के लिए कब्जा करवाया गया।
राघवेंद्र चौबे ने यह भी कहा कि डीएम के निर्देश पर एडीएम सिटी मौके पर पहुंचे जरूर, लेकिन उन्होंने वास्तविक मालिक से मिलने की बजाय कब्जा कर रहे पक्ष के साथ खड़े होकर नगर निगम और वीडीए की मदद से कब्जा दिलवा दिया। यहां तक कि रिकॉर्ड भी सील करवा दिए गए, जिससे मुतवल्ली अब अपने ही दस्तावेज नहीं देख पा रहे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि प्रशासन भाजपा से जुड़े लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर पक्षपात कर रहा है।