बनारस न्यूज डेस्क: उत्तर भारत में गर्मी का कहर अब अपने चरम पर है। वाराणसी में तापमान 44 डिग्री तक पहुंच गया है, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। काशी के घाट, जो आमतौर पर पर्यटकों और श्रद्धालुओं से भरे रहते हैं, अब वीरान नज़र आ रहे हैं। अस्सी घाट जैसे हमेशा चहल-पहल वाले इलाके भी अब सुनसान हैं। कुछ गिने-चुने लोग ही पेड़ों की छांव में बैठे दिख रहे हैं, और नावें खाली पड़ी हैं। गंगा की लहरें भी जैसे लू के थपेड़ों में थकी सी लग रही हैं।
धूप और गर्म हवाओं ने स्थानीय लोगों को भी बेहाल कर दिया है। गंगा किनारे के घाट अब हीट आइलैंड जैसे तप रहे हैं, जहां दिन तो दिन, रात में भी गर्म हवा लोगों की नींद उड़ा रही है। हालत यह है कि लोग रातभर करवटें बदलते रहते हैं। हालांकि मौसम विभाग ने थोड़ी राहत की खबर दी है। 13 जून के बाद मौसम में बदलाव आने की उम्मीद जताई गई है, जिससे बनारस समेत पूरे पूर्वांचल में राहत की संभावना बन रही है।
इस बीच गंगा नदी का जलस्तर भी लगातार घट रहा है। 2024 में जहां जलस्तर 38 सेंटीमीटर घटा था, वहीं 2025 में यह घटकर 40 सेंटीमीटर तक पहुंच गया है। रेत के टीले अब गंगा के बीचोंबीच उभरने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अब भी सावधानी नहीं बरती गई तो गंगा बेसिन की लगभग 45 करोड़ आबादी को संकट का सामना करना पड़ सकता है।
गर्मी के इस दौर के बीच एक धार्मिक क्षण ने राहत भरा नज़ारा पेश किया। बीते रविवार को कुंभ के पलट प्रवाह के करीब तीन महीने बाद, भारी संख्या में श्रद्धालु वाराणसी पहुंचे। करीब ढाई लाख लोग शहर में जुटे और घाटों से लेकर गलियों तक भक्ति का माहौल छा गया। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर भी श्रद्धालुओं से भर गया था।