मुंबई, 25 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दुनियाभर में क्रिसमस को लेकर उत्साह का माहौल है। चर्च सजी हुई हैं, बाजारों में रौनक है। ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने वेटिकन में 24 तारीख की रात सेंट पीटर बेसिलका चर्च का पवित्र दरवाजा खोलकर क्रिसकम के जश्न की शुरुआत की। वहीं, वेस्ट बैंक में जंग की वजह से ईसा मसीह के जन्मस्थान बेथलेहम में माहौल गमगीन है। उनके जन्मस्थल पर बने चर्च ऑफ द नेटिविटी में लगातार दूसरे साल सजावट तक नहीं की गई है। वहीं, क्रिसमस पर रूस ने पूरे यूक्रेन पर हमले किए हैं। जंग की वजह से यूक्रेनी सैनिक बंकरों में क्रिसमस मनाते दिखाई दिए हैं। दूसरी तरफ सीरिया में असद के भागने के बाद वहां के ईसाई उत्साह के साथ क्रिसमस मना रहे हैं। हालांकि यहां सोमवार रात को क्रिसमस ट्री में आग लगा दी गई थी। जिसके बाद लोगों में नाराजगी देखी गई थी।
क्यों मनाया जाता है क्रिसमस
मान्यताओं के अनुसार, प्रभु यीशु यानी जीसस क्राइस्ट का जन्म बैथलहम में मैरी और जोसेफ के घर हुआ था। सेक्सटस जूलियस अफ्रीकानस ने 221 ई में पहली बार 25 दिसंबर को जीसस का बर्थडे सेलिब्रेट किया था। इसे क्रिसमस-डे कहने के पीछे भी एक कहानी है। दरअसल, रोमन लोग विंटर सोल्सटाइस रोमन लोग विंटर सोल्सटाइस के दौरान 25 दिसंबर को सूर्य के जन्मदिवस के रूप मनाते थे। ऐसी भी मान्यताएं हैं कि मदर मैरी ने दुनिया के निर्माण की चौथी तारीख यानी 25 मार्च को गर्भधारण किया था, इसके 9 महीने बाद 25 दिसंबर को यीशु का जन्म हुआ।