हाल ही में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। तीर्थयात्रियों से भरी एक बस अलकनंदा नदी में गिर गई, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और कई गंभीर रूप से घायल हुए। यह हादसा जहां एक तरफ लोगों के लिए गहरे दुख और शोक का कारण बना, वहीं कुछ लोगों ने इस संवेदनशील मौके को सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाने के लिए इस्तेमाल किया।
ऐसे ही एक मामले में फर्जी तस्वीर को रुद्रप्रयाग की इस दुर्घटना से जोड़कर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल किया गया। आइए जानते हैं इस मामले की पूरी हकीकत।
क्या हुआ था रुद्रप्रयाग में?
उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जिला चारधाम यात्रा के मार्ग पर स्थित है, जहां देशभर से तीर्थयात्री भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। हाल ही में यहां एक बस में सवार करीब 20 लोग यात्रा कर रहे थे। यह बस अलकनंदा नदी के किनारे से गुजर रही थी, तभी उसका संतुलन बिगड़ गया और वह खाई में गिर गई।
इस भीषण हादसे में कई लोगों की मौत हो गई और राहत-बचाव कार्य में लगे सुरक्षाबलों और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत मौके पर पहुंचकर राहत अभियान चलाया।
वायरल हुई फर्जी तस्वीर
इस हादसे के तुरंत बाद, सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई जिसमें एक बस तेज बहाव वाली नदी के बीच में फंसी नजर आ रही थी।
एक X (पूर्व में ट्विटर) यूजर '@me__himanshi' ने इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा:
"रुद्रप्रयाग में दुखद बस दुर्घटना: तीर्थयात्रियों की बस अलकनंदा नदी में गिरी, कई लोगों की मौत, कई लापता। बचाव अभियान जारी है। सभी के लिए प्रार्थना।"
यह पोस्ट कुछ ही घंटों में सैकड़ों लोगों तक पहुंच गई और कई अन्य यूजर्स ने भी इसे शेयर करना शुरू कर दिया। इस तस्वीर ने लोगों के बीच दहशत और भावनात्मक प्रतिक्रिया को और भी बढ़ा दिया।
फैक्ट चेक में क्या निकला?
जब इस वायरल तस्वीर की सच्चाई की पड़ताल की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
🔎 रिवर्स इमेज सर्च का नतीजा:
हमने सबसे पहले इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च किया। यह तकनीक किसी भी इमेज के इंटरनेट पर पहले से मौजूद होने या उसके स्रोत का पता लगाने में मदद करती है।
AI Image Detection Tool ने की पुष्टि:
इसके बाद हमने इस इमेज को एक आधुनिक AI डिटेक्शन टूल – Hive Moderation पर चेक किया।
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टूल ने साफ बताया कि यह फोटो AI-Generated Image है यानी इसे किसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इमेज जेनरेटर जैसे DALL-E या Midjourney के माध्यम से बनाया गया है।
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पानी का बहाव, पृष्ठभूमि की चमक, और बस की बनावट पूरी तरह से असामान्य दिख रही थी।
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ध्यान से देखने पर ये भी नजर आता है कि बस के डिटेल्स जैसे खिड़कियां, साइज, गहराई आदि वास्तविकता से मेल नहीं खाते।
वायरल तस्वीर के खतरनाक प्रभाव
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लोगों की भावनाओं से खिलवाड़:
हादसे जैसे संवेदनशील विषय पर फर्जी तस्वीरें शेयर करने से लोगों के दुख और पीड़ा के साथ खिलवाड़ होता है।
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फेक न्यूज का प्रसार:
सोशल मीडिया पर बिना जांचे-परखे कोई भी फोटो शेयर कर देना, फेक न्यूज को बढ़ावा देता है जो समाज में भ्रम फैलाता है।
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प्रशासनिक कामों में बाधा:
फर्जी खबरों और तस्वीरों की वजह से प्रशासन को असली राहत कार्यों में परेशानी होती है। लोग ग़लत लोकेशन या आंकड़ों के पीछे भागने लगते हैं।