केन्या में हाल ही में एक ऐसा घटनाक्रम सामने आया जिसने देश की आर्थिक संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। अदाणी समूह द्वारा नैरोबी के जोमो केन्याटा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (JKIA) के विस्तार और प्रबंधन के लिए प्रस्तावित डील को केन्याई सरकार द्वारा रद्द कर दिया गया। इस फैसले से केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री और ऑरेंज डेमोक्रेटिक मूवमेंट (ODM) के नेता रैला ओडिंगा ने गहरी निराशा जताई है।
ओडिंगा ने बताया डील रद्द होना ‘राजनीतिक चालबाजी’
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, करेन में आयोजित नेशनल एग्जीक्यूटिव रिट्रीट के दूसरे दिन ओडिंगा ने इस विषय पर खुलकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अगर अदाणी समूह के साथ यह अनुबंध आगे बढ़ता तो नैरोबी न केवल एक क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र बन जाता, बल्कि हजारों रोजगार भी उत्पन्न होते।
ओडिंगा ने साफ तौर पर कहा, “जब हम एयरपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट पर आगे नहीं बढ़ पाए तो मैं बहुत निराश था, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्णय राजनीतिक चालबाजियों का परिणाम है, न कि किसी व्यावसायिक या रणनीतिक कारण का।
केन्याई राष्ट्रपति ने किया डील रद्द
गौरतलब है कि 21 नवंबर 2024 को केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने संसद में राष्ट्र को संबोधित करते हुए अदाणी समूह के साथ दो बड़े सौदों — JKIA विस्तार और KETRACO (Kenya Electricity Transmission Company) के साथ प्रस्तावित डील — को रद्द करने का आदेश दिया था। यह घोषणा देश की राजनीति और उद्योग जगत में भूचाल ले आई।
डील रद्द होने से देश ने खोया बड़ा अवसर
ओडिंगा ने स्पष्ट किया कि इस निर्णय से केन्या ने एक सुनहरा अवसर गंवा दिया। उन्होंने अदाणी समूह की क्षमताओं की सराहना करते हुए कहा, “अदाणी एक विश्वसनीय और सक्षम भागीदार है, जिसकी परियोजनाओं की गुणवत्ता पूर्वी अफ्रीका में उपलब्ध अन्य विकल्पों से बेहतर रही है।”
उन्होंने यह भी बताया कि अदाणी समूह 2010 से ही केन्या में निवेश करने की इच्छा रखता था, लेकिन उस समय देश में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के लिए उचित कानूनी ढांचा मौजूद नहीं था, जिससे यह रुचि आगे नहीं बढ़ सकी।
पारदर्शिता की मांग
ओडिंगा ने सरकार से अपील की कि इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक निर्णयों में पारदर्शिता बनाए रखी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “यदि पारदर्शिता नहीं रही तो हम उन प्रतिष्ठित कंपनियों को निंदा का शिकार बना देंगे, जो वैध व्यापारिक लेन-देन में शामिल हैं।”
उन्होंने सरकार को आगाह किया कि राजनीतिक कारणों से अगर ऐसी कंपनियों को बाहर किया गया तो इससे भविष्य में विदेशी निवेशकों का भरोसा टूट सकता है, जो किसी भी विकासशील देश के लिए नुकसानदायक है।
निष्कर्ष
अदाणी समूह की JKIA डील का रद्द होना न केवल एक आर्थिक नुकसान है, बल्कि यह राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी केन्या के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। रैला ओडिंगा जैसे वरिष्ठ नेता की चिंता इस बात की ओर इशारा करती है कि वैश्विक निवेशकों के साथ व्यवहार में संतुलन और पारदर्शिता बनाए रखना अनिवार्य है।
यह घटना यह भी दर्शाती है कि कैसे राजनीति और निवेश के टकराव से कोई देश अपने ही विकास के रास्ते को रोक सकता है। अब देखना यह होगा कि केन्याई सरकार भविष्य में अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को लेकर किस दिशा में आगे बढ़ती है।