दुनियाभर में मशहूर और सबसे बड़ी टेक कंपनियों में शामिल माइक्रोसॉफ्ट एक बार फिर से बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है। यह छंटनी कंपनी के ग्लोबल वर्कफोर्स यानी वैश्विक कर्मचारियों की संख्या का करीब 3 प्रतिशत होगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बार करीब 6,800 से ज्यादा लोगों की नौकरी जा सकती है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी साल 2023 में माइक्रोसॉफ्ट ने 10,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला था। अब एक बार फिर कंपनी ने कर्मचारियों की कटौती का रास्ता चुना है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक दिग्गज को बार-बार छंटनी की ज़रूरत क्यों पड़ रही है?
कंपनी का आधिकारिक बयान
माइक्रोसॉफ्ट ने स्पष्ट किया है कि यह छंटनी सभी देशों, सभी टीमों और सभी लेवल्स पर लागू होगी। यानी केवल किसी एक क्षेत्र विशेष तक यह फैसला सीमित नहीं रहेगा। कंपनी की योजना अपने मैनेजमेंट स्ट्रक्चर को बेहतर बनाना और संचालन को अधिक कुशल बनाना है। इसके साथ ही यह छंटनी रणनीतिक फैसलों को बेहतर तरीके से लागू करने की प्रक्रिया का हिस्सा मानी जा रही है।
6800 कर्मचारियों पर असर पड़ने की संभावना
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जून 2024 तक माइक्रोसॉफ्ट में करीब 2.28 लाख कर्मचारी कार्यरत थे। यदि कंपनी अपने ग्लोबल वर्कफोर्स का 3% हिस्सा कम करती है, तो इसका मतलब लगभग 6,800 कर्मचारी इस छंटनी की चपेट में आएंगे। इससे न केवल कंपनी के भीतर हलचल बढ़ेगी, बल्कि टेक इंडस्ट्री में भी चिंता का माहौल बनेगा।
किन पदों पर होगी सबसे ज्यादा छंटनी?
इस बार की छंटनी में मिड-लेवल मैनेजमेंट सबसे अधिक प्रभावित हो सकता है। कंपनी की रणनीति के तहत इंजीनियरिंग स्टाफ को प्राथमिकता दी जाएगी। यानी तकनीकी और डेवलपमेंट से जुड़े लोग सुरक्षित माने जा रहे हैं। माइक्रोसॉफ्ट अब अपने प्रोजेक्ट्स को कम मैनेजमेंट लेयर के साथ और ज्यादा दक्षता से चलाना चाहती है।
इसका एक बड़ा कारण कंपनी का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में भारी निवेश करना है। रिपोर्ट्स के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट AI को लेकर अपने कई नए प्रोडक्ट्स और सर्विसेज पर काम कर रही है। ऐसे में इंजीनियरिंग और AI टैलेंट को बचाकर रखा जाएगा और मैनेजर की भूमिकाएं सीमित की जाएंगी।
छंटनी के पीछे का कारण
माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार, यह छंटनी कंपनी की स्ट्रक्चरल और ऑपरेशनल री-अलाइनमेंट का हिस्सा है। कंपनी चाहती है कि उसका मैनेजमेंट ढांचा ज्यादा सहज और उत्तरदायी हो। इसके जरिए कंपनी तेजी से निर्णय लेने और नई रणनीतियों को लागू करने की दिशा में काम करेगी।
इसके अतिरिक्त, कंपनी का यह भी मानना है कि बदलते समय और तकनीकी जरूरतों के अनुसार, संगठन को लगातार पुनर्गठन (restructure) करना आवश्यक है।
निकाले गए कर्मचारियों के लिए राहत की खबर
हालांकि माइक्रोसॉफ्ट ने इस छंटनी को लेकर एक मानवीय दृष्टिकोण भी अपनाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन कर्मचारियों को निकाला जाएगा उन्हें 60 दिन तक पे-रोल पर रखा जाएगा। इसके अलावा वे बोनस और रिवॉर्ड्स के भी पात्र होंगे।
यह माइक्रोसॉफ्ट की नीति का हिस्सा है, जिससे कि छंटनी के दौरान प्रभावित कर्मचारियों को आर्थिक झटका कम महसूस हो और उन्हें नई नौकरी ढूंढने के लिए थोड़ा समय मिल सके।
टेक इंडस्ट्री में छंटनी की लहर
माइक्रोसॉफ्ट की यह छंटनी सिर्फ एक अपवाद नहीं है। हाल के वर्षों में टेक इंडस्ट्री में छंटनी की एक बड़ी लहर देखने को मिल रही है। गूगल, मेटा, अमेज़न और ट्विटर जैसी कंपनियां भी अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती कर चुकी हैं। इसका बड़ा कारण है - AI का बढ़ता उपयोग, ऑटोमेशन, और लागत में कटौती की रणनीति।
टेक कंपनियां अब दक्षता और लागत-प्रभावशीलता पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं। ऐसे में पारंपरिक रोल्स की उपयोगिता घट रही है और AI आधारित समाधान तेजी से अपनाए जा रहे हैं।
निष्कर्ष: टेक्नोलॉजी में बदलाव और रोजगार पर असर
माइक्रोसॉफ्ट की ताज़ा छंटनी इस ओर इशारा करती है कि आने वाले वर्षों में टेक्नोलॉजी सेक्टर में पारंपरिक नौकरियों पर संकट और गहराएगा। कंपनियों का झुकाव AI और ऑटोमेशन की ओर बढ़ता जा रहा है, जिससे केवल उन्हीं कर्मचारियों को महत्व मिलेगा जिनके पास नवीनतम तकनीकी दक्षताएं होंगी।
भविष्य में नौकरी पाना और बनाए रखना अब पुराने स्किल्स से संभव नहीं होगा। माइक्रोसॉफ्ट जैसे उदाहरण यह दर्शाते हैं कि अगर आप टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में बने रहना चाहते हैं, तो AI, डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड, साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में दक्षता जरूरी होगी।