ताजा खबर
कनाडा सरकार ने इंफोसिस पर लगाया 82 लाख रुपये का जुर्माना   ||    Google Accidentally Deletes $125 Billion Pension Fund Account From Cloud   ||    प्रतिदिन 133 महिलाएँ अपने साथियों द्वारा मारी जा रही हैं; जानिए क्या है स्त्री हत्या और किन देशों ने...   ||    किर्गिस्तान भीड़ के हमलों के बीच भारत और पाकिस्तान ने छात्रों को अंदर रहने की चेतावनी दी   ||    वैज्ञानिकों ने खोजी ‘हत्यारी’ मकड़ी की नई प्रजाति, पैरों से दबोचती हैं शिकार, नाम भी अजीब   ||    छोटी उंगली को 360 डिग्री तक घुमा लेता है युवक, जिम से वायरल वीडियो को देख चुके हैं लाखों लोग   ||    प्रॉपर्टी या शेयर, किसमें लगाएं पैसा? घर की बढ़ रही कीमतें तो रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों की ऊंची...   ||    Kanya Utthan Yojana: बेटियों को 50 हजार रुपये दे रही सरकार, आज आवेदन करने की आखिरी तारीख   ||    Petrol Diesel Price Today: शनिवार को जारी हुई पेट्रोल-डीजल की कीमत? जानें ईंधन के नए रेट   ||    RCB Vs CSK: 18 मई को निर्णायक मुकाबला, अगर बारिश ने बिगाड़ा खेल… तो कौन करेगा क्वालीफाई   ||   

नेपाली धर्म ग्रंथों में भी काशी मुक्ति स्थल में है अंकित

Photo Source :

Posted On:Saturday, January 29, 2022

धर्म,मुक्ति, संस्कृति से विभूषित काशी अपने अंदर कई प्राचीनतम धरोहरओ को समेटे हुए हैं जिसे देखने पूरे विश्व से लोग यहां आते हैं और मंत्रमुग्ध होकर वापस लौटते हैं वाराणसी में ही ललित घाट पर स्थित  बाबा पशुपतिनाथ की मंदिर मान्यता है कि अगर इस पवित्र स्थान पर किसी की मौत होती है तो वह मोक्ष प्राप्त करता है यह मंदिर नेपाली मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है जिसे नेपाल की धरोहर माना जाता है गौरतलब बात यह है कि यहां के पुजारी व काम करने वाले सभी लोग नेपाली नागरिक ही हैं।

क्या है इतिहास -
नेपाली मंदिर की कथा बहुत पहले नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह ने काशी में देशान्तरण ले लिया। उसी वक्त उन्होंने निश्चय किया वह नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थापित पशुपतिनाथ मंदिर के हीं स्वरूप में एक शिव मंदिर यहाँ भी बनवाएंगे। हालाँकि उनके निर्वासन के दौरान मंदिर का निर्माण कार्य शुरू तो हो गया परन्तु पूरा होने में 30 वर्षों का समय लगा। मंदिर के निर्माण कार्य के बीच ही राजा राणा बहादुर शाह नेपाल को लौट गए जहाँ उनकी, उनके सौतेले भाई शेर बहादुर शाह द्वारा चाकू मार कर हत्या कर दी गई। उनकी मृत्यु के बाद मंदिर को उनके पुत्र गिरवान युद्धा बिक्रम शाह देव ने समय सीमा के 20 साल बाद बनवा कर राणा बहादुर शाह का निश्चय पूरा किया।सदियों पुराने इस मंदिर को 1943 में पशुपति नाम मंदिर को दिया गया ताकि बनारस में रहने वाले नेपाली नागरिकों को बाबा विश्वनाथ के साथ ही पशुपतिनाथ के दर्शन भी प्राप्त हो सके।

 क्यों कहलाया कांठवाला मंदिर-
नेपाली मंदिर को कांठवाला मंदिर भी कहते हैं क्योंकि यह मंदिर टैराकोटा, लकड़ी और पत्थर के इस्तेमाल से नेपाली वास्तुशैली से बनाया गया है। कांठ मतलब लकड़ी इसलिए इसे कांठवाला मंदिर नाम भी दिया गया। मंदिर को यह रचना नेपाली कारीगरों की उत्कृष्ट शिल्प कौशल की वजह से  प्राप्त हुई। इस मंदिर में जो मूर्तियां खुदी हुई है वह खजुराहो स्मारक के समान दिखती हैं ।जिसके कारण इसे छोटा खजुराहो भी कहा जाता है।मंदिर के बगल में ही धर्मशाला बना हुआ है जो कि पूरी तरह से नेपाल के संस्कृति दिखाई देती है। उसी तरह लकड़ी के बालकनी और खिड़कियां ऐसी बनाई गई हैं कि काशी में ही नेपाली वास्तुकला का दर्शन हो। यहां रहने वाली वृद्ध महिलाएं काशीवास के लिए यहां सालों से रह रही है।


मोक्ष प्राप्ति  की है मान्यता -
शिव की नगरी कहीं जाने वाली काशी जहां सब शिव मय है। वही आपको यह जानकर थोड़ा आश्चर्य होगा कि यह नेपाली मंदिर सबसे पुराने शिव मंदिरों में से एक है। और यह भी काफी आश्चर्यजनक करने वाली बात है कि यहां के प्रमुख देवता स्वयं शिव भगवान हैं।नेपाल और भारत के अटूट रिश्ते को धर्म की मजबूत डोर से जकड़े हुए इस मंदिर का पूरा खर्च नेपाल सरकार देती है। यह नेपाली मंदिर यहां रहने वाले नेपाली नागरिकों के लिए विशेषकर महत्त्व रखता है। आज भी मोक्ष प्राप्ति के लिए नेपाली महिलाएं और पुरुष अपनी मृत्यु मांगने इस मंदिर में आते हैं। नेपाली धर्म ग्रंथों में काशी को मुक्ति का स्थल बताया गया है हालाकी नेपाल और भारत की संस्कृति में ज्यादा अंतर नहीं है धर्म वही परंपराएं भी लगभग वहीं जिसके कारण नेपाल और भारत का संबंध हमेशा से मजबूत रहा है। जिसका प्रमाण काशी में स्थित इस नेपाली मंदिर के स्थित होने पर मिलता है।अपनी रचनात्मक व आध्यात्मिक महत्व की वजह से यह वाराणसी के खास मंदिरों में शामिल है।


बनारस और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. banarasvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.