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डॉक्टर की मदद से एक मां ने दिए एक साथ तीन बच्चियों को जन्म

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Posted On:Saturday, July 1, 2023

प्रत्येक वर्ष एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर डे मनाया जाता है। ये दिन धरती के भगवान कहे जानें वाले चिकित्सको को समर्पित है। ये चिकित्सक न सिर्फ़ मरीजों की तकलीफ़ दुर करते हैं बल्कि उन्हें नई जिंदगी भी देते हैं। इसीलिए एक जुलाई को न सिर्फ हम उनके हौसले को याद करते है बल्कि उनकी सराहना करते है जो कई मरीजों को पुनः जन्म दिया। हमारे बीच कई ऐसे डॉक्टर है जो समाज के लिये मिशाल है। उन्होंने न सिर्फ अच्छा काम किया है बल्कि उनकी वजह से कई लोग प्रेरित हुए है। ऐसे ही एक डाक्टर के बारे में आज हम बात करने जा रहे है जिन्होंने पेट में पल रहे तीन बच्चों का एक साथ बच पाने की ख्वाइश छोड़ चुके परिजनों को डॉक्टर ने नई जिदंगी दी। ये कहानी है वाराणसी की रहने वाली डॉक्टर निमिशा सिंह व मिर्जापुर की रहने वाले डॉक्टर रिंकू कुशवाहा की जो आम जनता के बीच मिसाल बन चुकी है।

अपने संतान के बचने की उम्मीद खो चुकी एक मां को नई उम्मीद देने वाली वाराणसी की रहने वाली डॉक्टर निमिशा सिंह ने इंसानियत की मिसाल कायम की है। महिला के गर्भ में पल रहे तीन बच्चों को सफल ऑपरेशन करके बाद इलाज करके नई जिदंगी दी। पेट में पल रहे तीन बच्चों का एक साथ बच पाने की ख्वाइश छोड़ चुके परिजनों को डॉक्टर ने नई जिदंगी दी। बच्चों की मां सरिता ने कहा कि तीनों बच्चियों को डॉक्टर ने नई जिंदगी दी है। उन्हें में पढ़ा लिखाकर डॉक्टर या फिर आईएएस बनाउंगी। वाराणसी की रहने वाले बाल रोग विशेषज्ञ निमिशा सिंह ने कहा डॉक्टर बनने के बाद समाज, मरीज और परिवार के बीच सामंजस्य बना पाना मुश्किल है। मां होने के साथ में उस दर्द को महसूस करती हूं।

डॉक्टर निमिशा ने बताया कि सरिता जो कि वाराणसी की रहने वाली है। ऐसे में इनके पेट में तीन लड़के थे। तीन बच्चों के होने की स्थिति में इनका समय से पहले ऑपरेशन करना जरूरी था। इससे ज्यादा हम लोगों को कही जरूरी था कि बच्चे की जान बच जाए। सफल ऑपरेशन के बाद अब जान बच गया है। जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ है। दो बच्चियां है और एक बच्चा है। डॉक्टर निमिशा सिंह ने कोरोना के भयावह काल का किस्सा बताते हुए कहा कि जिस समय परिवार के लोग साथ नही दे रहे थे। उस वक्त हम मरीजों का उपचार कर रहे थे। मरीजों का उपचार करते समय हमें खुद कोरोना हुआ। जहां हम अपने बच्चों से दूर रहे। उसके बाद भी हमने इलाज करना नही छोड़ा। मेरी मां ने कहा कि बेटा जाने दो न जाओ, लेकिन हमने जिम्मेदारी समझी और इलाज किया। कई बार ऐसे वक्त आते है, लेकिन हम दृढ़ता के साथ काम करके उसे मात देते है।


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