वाराणसी । जहां एक ओर हमारे देश में बेटियों को लक्ष्मी माना जाता है नवरात्रि के नौ दिन उन्हें देवी रुप में पूजा जाता है, वहीं दूसरी ओर आज भी कई लोग ऐसे है जो बेटियों को बोझ मानते है और या तो उनके जन्म लेने से पहले ही उन्हें कोख में मार देते है या फिर यूहीं कहीं कूढ़े ढेर में बीच रास्ते में फेंक कर चलते बनते है। अभी हाल ही में बीएचयू अस्पताल परिसर से ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां तीन दिन की नवजात टिनशेड की कुर्सी पर लावारिस पाई गई।
भूख से तड़पती रही बच्ची
बीएचयू अस्पताल परिसर में तीन दिन की नवजात को शनिवार की सुबह पांच बजे बाल रोग विभाग के सामने टिनशेड की कुर्सी पर लावारिस पाया गया। वह सुबह आठ बजे तक कुर्सी पड़ी रही। भूख से तड़ती रही, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। इस बीच एमएआरआई में ड्यूटी कर रही महिला सफाई कर्मी शहनाज की निगाह बिटिया पर पड़ गई। शहनाज भागकर गई और उसे कलेजे से लगा लिया। साथ ही पूरे मामले की जानकारी बीएचयू के सुरक्षाकर्मियों को दी और मासूम को उनकी सुपुर्दगी में दे दिया।
बच्ची की जान थी खतरे में
सुरक्षा कर्मियों ने आईएमएस बीएचयू में प्रॅाक्टोरियल बोर्ड की टीम को बताया और बच्ची को अस्पताल की इमरजेंसी ले गए। बाल रोग विभाग के पीडियाट्रिक इन्सेटिव केयर यूनिट(पीआईसीयू) में भर्ती करके बच्ची का इलाज किया जा रहा है। बता दें कि, बच्ची को जहां फेंका गया था, वहां कई आवारा कुत्ते रहते हैं। बच्चों पर कई बार हमला करते हैं। कुर्सी पर पड़े होने की वजह से बच्ची सुरक्षित रही। इसी बीच महिला सुरक्षाकर्मी की निगाह पड़ गई और उसने बच्ची को उठा लिया।
बच्ची का पीआईसीयू में चल रहा इलाज
चिल्ड्रेन वार्ड में बच्ची पहुंची तो वहां मौजूद महिला डॉक्टर ने उसे दुलारा, फिर बेड पर रखकर इलाज शुरू कर दिया। हालांकि बच्ची को चोट नहीं लगी थी। तबियत जरूर खराब है। इसी वजह से पीआईसीयू में भर्ती करके इलाज किया जा रहा है। चीफ प्रॉक्टर, बीएचयू-प्रो. शिवप्रकाश सिंह ने बताया कि बाल रोग विभाग के सामने कुर्सी पर तीन दिन की बच्ची मिली है। सुरक्षा कर्मियों ने उसे बाल रोग विभाग में भर्ती कराया है। आईएमएस बीएचयू में प्रॅाक्टोरिइयल बोर्ड की टीम पूरे मामले में नजर बनाए हुए है। नियमानुसार पुलिस को इसकी सूचना दी जा चुकी है।