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बौद्ध धर्म गुरु ने ज्ञानवापी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका ,कहा ज्ञानवापी ना मस्जिद है ना मंदिर यह बौद्ध धर्म स्थल है

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Posted On:Thursday, August 3, 2023

वाराणसी । ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना बड़ा फैसला सुनाते हुए गुरुवार को इसके पुरातात्विक सर्वेक्षण की इजाजत दे दी। इस मामले में वाराणसी जिला न्यायालय ने 21 जुलाई को ASI सर्वे का आदेश दिया था। जिसके बाद मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताते हुए पहले सुप्रीम कोर्ट और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था। अब हाईकोर्ट ने तीन दिन सुनवाई करने के बाद गुरूवार को इस याचिका को ख़ारिज कर दिया है। गुरुवार की सुबह कोर्ट ने अपन फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका को ख़ारिज कर दिया। साथ ही उन्होंने वाराणसी जिला न्यायालय के 21 जुलाई के आदेश को बरकरार रखते हुए ASI सर्वे का आदेश दिया है।

अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है। इस बार हिन्दू या मुस्लिम नहीं, बल्कि बौद्ध धर्म गुरु ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है। बौद्ध धर्म गुरू सुमित रतन भंते ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए उस पर बौद्ध मठ का दावा किया गया है। बौद्ध धर्म गुरू रतन भंते के मुताबिक, देश में ऐसे तमाम मंदिर हैं, जो बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गये हैं। ज्ञानवापी में पाए गये त्रिशूल और स्वास्तिक बौद्ध धर्म के चिन्ह हैं। वहीं बौद्ध धर्म गुरु ने केदारनाथ मंदिर को भी लेकर भी अपना दावा किया है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ और ज्ञानवापी में जो ज्योतिर्लिंग बताए जा रहे हैं, वह बौद्ध धर्म के स्तूप हैं। ज्ञानवापी न मंदिर है, न मस्जिद है, बल्कि बौद्ध मठ है।

सुमित रतन भंते ने देश में बौद्ध मठों को खोज शुरू की है। उन्होंने कहा कि हमने बौद्ध मठों की क्जोह शुरू कर दी है। जिन बौद्ध मठों को तोड़कर धार्मिक स्थल बनाए गये हैं। सभी मंदिरों और मस्जिदों को उनके मूल स्वरुप में आना चाहिए। जहां-जहां बौद्ध मठों से उनका स्वरुप बदला गया है, उन्हें उनके मूल स्वरुप में वापस आना चाहिए। सुमित रतन ने आगे कहा कि हम केदारनाथ और बद्रीनाथ सहित अन्य मंदिरों को लेकर भी याचिका दायर करेंगे। ज्ञानवापी को लेकर भी उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी का अगर सही से सर्वे कराया जाय, तो बौद्ध मठ ही पाया जाएगा और यदि सर्वे में बौद्ध मठ मिले, तो वह हमें सौंप दें।

बौद्ध धर्म हिन्दू और इस्लाम से भी प्राचीन
बौद्ध धर्म गुरु के मुताबिक, इस्लाम भारत में 1500 साल पहले आया और हिन्दू धर्म 1200 साल पहले आया लेकिन बौद्ध धर्म ढाई हजार साल पहले का है। देश में जो आपसी फूट की परम्परा शूरू हुई है, वह उचित नहीं है।


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