बनारस न्यूज डेस्क: श्री काशी विश्वनाथ धाम में महाकुंभ के पलट प्रवाह के दौरान आस्था का सैलाब उमड़ा और कई नए रिकॉर्ड बने। दो महीनों में तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए, जबकि 61,559 भक्तों ने चार पहर की आरती का आभासी रूप से आनंद लिया। दुर्लभ दर्शन केंद्र पर 50,993 श्रद्धालु पहुंचे, वहीं दिव्य दर्शन केंद्र पर 10,566 भक्तों ने दर्शन किए। महाशिवरात्रि के अवसर पर 20 से 22 फरवरी तक धाम के प्रधान विग्रहों पर त्रिदिवसीय रुद्राभिषेक संपन्न हुआ। इस दौरान बाबा अविमुक्तेश्वर महादेव (गुरु बाबा) के विग्रह पर विशेष पूजा-अर्चना की गई।
श्रद्धालुओं की सेवा के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की गई थीं। दो महीनों में 17 क्विंटल गुड़ का वितरण किया गया और जल सेवा में 150 कर्मचारी तैनात रहे। 24 घंटे संचालित मेडिकल कैंप में दो हजार श्रद्धालुओं को चिकित्सा सहायता दी गई, जबकि दो लाख पैकेट ओआरएस और चार लाख पैकेट ग्लूकोज बांटे गए। विशेष पर्वों के दौरान धाम को 14 हजार फूलों की मालाओं से सजाया गया, जबकि नागा संन्यासियों के स्वागत में 11 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियां बरसाई गईं। महाकुंभ के इस प्रवाह के दौरान श्रद्धालुओं के लिए 45 दिनों तक रोजाना 1,000 से 1,200 भोजन पैकेट वितरित किए गए, जिससे कुल 30,000 भोजन पैकेट बांटे गए।
इस बीच, मणिकर्णिका घाट पर होने वाली मसान की होली को लेकर विवाद छिड़ गया है। आयोजक इसे परंपरा का हिस्सा मान रहे हैं, जबकि काशी के विद्वान इसे शास्त्रों के विरुद्ध बता रहे हैं। सनातन रक्षक दल के अध्यक्ष पंडित अजय शर्मा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर चिता भस्म से होने वाली इस होली पर रोक लगाने की मांग की है। काशी विद्वत समाज ने भी इस आयोजन की निंदा की है। काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व न्यास अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी, काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी और परिषद के अध्यक्ष आचार्य कामेश्वर उपाध्याय ने इसे अवैदिक करार दिया है।