वाराणसी । ज्ञानवापी परिसर में एसआई का सर्वे जारी है, आज सर्वे का दूसरा दिन है। सर्वे कर परिसर के अंदर मूर्तियों व कृतियों से पता लगाया जा सकेगा कि यह कितनी पुरानी है। एएसआई ने आईआईटी कानपुर के अर्थ साइंस विभाग के वैज्ञानिक प्रो. जावेद मलिक से मदद मांगी थी। प्रो. मलिक ने अपनी टीम के साथ सर्वे की तैयारी कर ली। जीपीआर तकनीक में प्रयुक्त होने वाले सभी उपकरण भी तैयार कर लिए थे, तभी हाईकोर्ट ने सर्वे पर रोक लगा दी। गुरुवार को कोर्ट से सर्वे की परमिशन दे दी है, अब एएसआई की ओर से बुलावा आते ही टीम वाराणसी पहुंचेगी।
प्रो. मलिक के अनुसार जीपीआर (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार) एक ऐसी तकनीक है, जिसकी मदद से जमीन या ढांचे को बगैर कोई नुकसान पहुंचाएं उसके नीचे दबी वस्तुओं की पहचान की जा सकती है। तकनीक बता देती है कि वस्तु कंक्रीट, धातु, पाइप, केबल या अन्य धातु से बनी है। इस तकनीक में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन की मदद से ऐसे सिग्नल मिलते हैं जिससे जमीन के नीचे वस्तु या ढांचे का आकार भी पता चल जाता है। इससे 2डी व 3डी प्रोफाइल्स तैयार की जाएंगी। इस तकनीक से जमीन के नीचे 8 या 10 मीटर की गहराई तक की वस्तुओं का आकार पता लगाया जा सकता है।