वाराणसी। सावधान कोरोना से भी खतरनाक लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी ने वाराणसी में दस्तक दे दी है, जो बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है। अब तक 10 से अधिक बच्चे इस बीमारी के शिकार हो गए है, जिनका प्राइवेट हॅास्पिटल में ट्रीटमेंट जारी है। वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। आइए जानते है इस बीमारी के बारे में और इसके लक्षण क्या है इससे कैसे बच्चों को बचाए।
चूहे के मूत्र के जरिये बच्चों में फैल रही बीमारी
नवजात शिशु संघ के प्रदेश अध्यक्ष और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक राय के अनुसार यह बीमारी चूहे के मूत्र के जरिये बच्चों में फैल रही है। इसमें डेंगू की तरह ही बुखार आएगा। यह शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है। पहले नॅार्मल फीवर आता है। लक्षण पांच से छह दिन बाद मिलते हैं। सही इलाज न मिले तो बुखार 10 से 15 दिन रहता है। इससे कभी पीलिया तो कभी हार्ट फेल होने का खतरा भी रहता है। वो अब तक लेप्टोस्पायरोसिस पीड़ित पांच बच्चों का इलाज कर चुके हैं।
बाल रोग विशेषज्ञों को किया गया
अलर्ट-CMO डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस के बारे में जानकारी मिली है। बाल रोग विशेषज्ञों को अलर्ट किया गया है। इससे पहले 2013 में मामले सामने आए थे। मंडलीय अस्पताल के बालरोग विशेषज्ञ डॉ. सीपी गुप्ता ने बताया कि ओपीडी में मरीज आ रहे हैं।
तीन चार दिन से ज्यादा है फीवर तो कराए टेस्ट
भारतीय बाल अकादमी के अध्यक्ष डॉ. आलोक भारद्वाज के अनुसार, बुखार अगर तीन-चार दिन से ज्यादा है तो इसे हल्के में न लें। सीआरपी की जांच कराइए। अगर सीआरपी ज्यादा आए तो समझ लें बैक्टीरियल बुखार है। इसके बाद लेप्टोस्पायरोसिस की जांच करानी होगी। इसके लक्षण डेंगू और वायरल से मिलते हैं। इसमें प्लेटलेट्स तेजी से नहीं डाउन होता है। 30 से 40 हजार तक पहुंचने के बाद रिकवर हो जाता है।
कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है
बीएचयू के जीवविज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है। कोरोना की चपेट में आने वालों की मृत्यु दर से एक से डेढ़ फीसदी है, जबकि लेप्टोस्पायरोसिस की तीन से 10 फीसदी है। इस बीमारी के वाहक चूहे हैं। चूहे ने कहीं पेशाब किया और आपकी स्किन कटी है तो अगर आप इसके संपर्क में आते हैं तो लेप्टोस्पायरोसिस होने की आशंका रहती है। यह बैक्टीरिया छह महीने तक पानी में जीवित रह सकता है। जुलाई से अक्तूबर के बीच बैक्टीरियल इंफेक्शन ज्यादा होता है।