बनारस न्यूज डेस्क: महाकुंभ सिर्फ श्रद्धा और भक्ति का आयोजन नहीं है, बल्कि यह व्यापार के लिए भी किसी संजीवनी से कम नहीं। वाराणसी में पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री को जबरदस्त बढ़ावा मिला है, लेकिन सबसे दिलचस्प बदलाव बनारसी साड़ी व्यापार में देखने को मिला। वर्षों से गोदामों में पड़ा डेड स्टॉक, जिसे बेच पाना मुश्किल हो रहा था, अचानक महाकुंभ के श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रिय हो गया। इसका असर यह हुआ कि बनारसी साड़ियों की बिक्री चार करोड़ रुपये के पार पहुंच गई।
महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की आमद से बनारस के बाजारों में रौनक लौट आई। साड़ी व्यापारियों और बुनकरों ने डेड स्टॉक को सस्ते दामों पर ठेलों और सड़क किनारे दुकानों पर बेचना शुरू किया। श्रद्धालुओं ने न सिर्फ इन्हें पसंद किया, बल्कि खरीदारी कर स्थानीय बुनकरों को भी संजीवनी दी। जो साड़ियां कभी बिकने का इंतजार कर रही थीं, वे कुछ ही दिनों में हाथों-हाथ बिक गईं और वर्षों से रुका हुआ व्यापार फिर से पटरी पर आ गया।
वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर के आसपास, चौक, मदनपुरा और गोदौलिया जैसे इलाकों में बुनकरों और व्यापारियों ने अपनी बिक्री तेज कर दी। कम कीमत और अच्छी गुणवत्ता के कारण साड़ियों की भारी मांग देखी गई। महाकुंभ ने न केवल साड़ी व्यापार को पुनर्जीवित किया, बल्कि स्थानीय बुनकरों को भी नई उम्मीद दी, जिससे उनका आर्थिक संकट काफी हद तक कम हो गया।