बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी में महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा विश्वनाथ धाम में विशेष पूजा-अर्चना और दर्शन के लिए व्यापक तैयारियां की गई हैं। इस पावन पर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। भक्तों की सुविधा के लिए विश्वनाथ धाम के चार प्रमुख प्रवेश द्वारों – ढूंढीराज गणेश द्वार, गंगा द्वार, सरस्वती द्वार और नदूफारिया रैंप से प्रवेश और निकास की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। सभी प्रवेश द्वारों पर बैरिकेडिंग की गई है, जिससे दर्शन के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो। गेट नंबर 4 को विशेष रूप से नागा साधुओं के लिए आरक्षित किया गया है और आम भक्तों के लिए इसे बाद में खोला जाएगा।
श्रद्धालुओं की सुगम एंट्री के लिए विभिन्न मार्ग निर्धारित किए गए हैं। नंदूफारिया प्रवेश मार्ग से आने वाले भक्त सुविधा केंद्र-1 से जिग-जैग व्यवस्था के तहत डी गेट से प्रवेश करेंगे और दर्शन के बाद उसी रास्ते से बाहर निकलेंगे। वहीं, सरस्वती द्वार से प्रवेश करने वाले श्रद्धालु सुविधा केंद्र-2 से चेकिंग के बाद बी गेट से अंदर जाएंगे और दक्षिण द्वार से दर्शन कर शनिदेव चैनल से बाहर निकलेंगे। गंगा द्वार और ललिता घाट से भी इसी प्रकार की प्रवेश और निकास व्यवस्था सुनिश्चित की गई है ताकि भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
महाशिवरात्रि के आयोजन को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों ने महामंडलेश्वर और अखाड़ों के प्रमुखों के साथ बैठक की। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल और डीएम एस. राजलिंगम ने नागा साधुओं और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए योजना बनाई। अधिकारियों ने पूरे शहर का जायजा लेने के बाद मृत्युंजय मठ में पंचदशनाम जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी से मुलाकात कर साधु-संन्यासियों के दर्शन-पूजन की प्रक्रिया पर विचार-विमर्श किया। बैठक में तय किया गया कि सुबह 6 बजे से 9 बजे तक अखाड़ों के आचार्य, साधु-संत और नागा साधु गेट नंबर-4 से बाबा विश्वनाथ के दर्शन करेंगे।
बाबा विश्वनाथ और मां गौरा के परिणय उत्सव की परंपरागत रस्मों की शुरुआत सोमवार को हल्दी की रस्म के साथ हुई। बाबा की चल प्रतिमा को पूर्व महंत के टेढ़ीनाम स्थित आवास पर हल्दी अर्पित की गई। इस बार खास बात यह रही कि श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा के नागा साधुओं ने मेवाड़ से विशेष रूप से हल्दी मंगवाई थी, जिसे बाबा को अर्पित किया गया। इस दौरान नागा साधु और महात्माओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए विशेष पूजा-अर्चना की।
महाशिवरात्रि के इस शुभ अवसर पर संत दिगंबर खुशहाल भारती के नेतृत्व में नागा साधुओं की शोभायात्रा मणिकर्णिका तीर्थ से निकली। डमरू की गूंज और हर-हर महादेव के जयघोष के साथ यह यात्रा पूर्व महंत के आवास पहुंची। नागा साधु विशेष थालों में हल्दी, फल, मेवा-मिठाई, पान-ठंडई, वस्त्र और आभूषण लेकर आए। प्रयागराज में पूजित मेवाड़ की हल्दी को बाबा को समर्पित किया गया। भक्तों के उत्साह और धार्मिक श्रद्धा के बीच बाबा विश्वनाथ धाम महाशिवरात्रि के भव्य आयोजन के लिए पूरी तरह तैयार है।