वाराणसी। महान उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द के जन्मदिवस के अवसर पर उनके पैतृक गांव लमही में विशाल भारत संस्थान द्वारा मन्त्र मार्च एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुंशी प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानी मन्त्र के नाम पर सुभाष भवन से प्रेमचंद के पैतृक आवास तक विशाल भारत रंगमंच के कार्यकर्त्ताओं व कलाकारों ने मन्त्र मार्च निकालकर प्रेमचन्द को याद किया। साथ ही लमही स्थित सुभाष भवन में प्रेमचन्द की लमही–साहित्यिक पथ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
मार्च का नेतृत्व विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी एवं मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने किया। संगोष्ठी के मुख्यवक्ता रामपंथ के धर्मप्रवक्ता डॅा कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव व अध्यक्षता कर रहे ज्ञान प्रकाश ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के मंदिर में माल्यर्पण एवं दीपोज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर डॅा कवीन्द्र नारायण ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द का साहित्य लेखन साहित्य समाज का दर्पण है। राजा से उतरकर प्रजा पर साहित्य लेखन करना बहुत बड़ी बात है। मुंशी प्रेमचन्द ने समाज की महिलाओं को साहित्य में स्थान देकर साहित्य लेखन के जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन किया क्योंकि उन्होंने समाज में घटित हो रही घटनाओं को ही अपने लेखन के माध्यम से प्रस्तुत किया।
अध्यक्षता कर रहे ज्ञान प्रकाश ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द के साहित्य जगत में आने के बाद लोगों ने कहा कि कलम की ताकत तलवार से भी ज्यादा होती है। उनका साहित्य समाज, दलित वर्ग, महिलाओं एवं निचले तबके का चित्रण है। मुंशी प्रेमचन्द का साहित्य सदैव ही समाज का वास्तविक दर्पण बनकर साहित्य जगत को रौशन करता रहेगा।