वाराणसी। सभ्यता और संस्कृति का ख़ास मिश्रण है। इस बार 21 अक्टूबर महासप्तमी की शाम वैष्णव, शैव और शाक्त तीनों भक्ति धाराएं बाबा के धाम में एकाकार होंगी। महादेव के आंगन में भगवान राम और देवी दुर्गा की पूजा करने से इस त्योहार का माहौल अधिक प्यारा और खास बनेगा।
श्री काशी विश्वनाथ धाम में यह पहली बार भगवान राम की शक्ति का मंचन हो रहा है। 2013 में शुरू हुआ राम की शक्ति पूजा का सफर अब अपने 93वें पड़ाव पर है, जब नागरी नाटक मंडली श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचेगी। शंकराचार्य के चौक पर पहली बार किसी नाटक का मंचन होगा। इसके साथ ही, यह भी बड़ी बात है कि शिव के आराध्य राम की शक्ति की पूजा से इसका आरंभ हो रहा है।
रूपवाणी बनारस की मशहूर संस्था के नाटक राम की शक्ति पूजा में भगवान राम अत्याचारी रावण को पराजित करने के लिए शक्ति की आराधना करते हैं। शक्ति भी भगवान की परीक्षा लेती हैं। राम परीक्षा में सफल होते हैं और शक्ति जीत का आशीर्वाद देकर उन्हीं में लय हो जाती हैं। बता दें कि इसके पहले शक्तिपूजा का मंचन संकटमोचन शताब्दी संगीत समारोह में भी हो चुका है।
पिछले दस साल से राम की शक्ति पूजा नियमित रूप से चल रही है
महाकाल की प्राचीन नगरी काशी में यह पहला मोका है, जब कोई नाटक प्रदर्शनों का शतक लगाने जा रहा है। राम की शक्तिपूजा का पहला प्रदर्शन पांच फरवरी 2013 को नागरी नाटक मंडली प्रेक्षागृह में हुआ था। यह प्रस्तुति पिछले दस वर्षों से ज़िंदा, सक्रिय और प्रवाहमान है। प्रस्तुति का नाट्यालेख स्व. डॉ. शकुंतला शुक्ल ने लिखा था।
प्रस्तुति का संगीत पूरी तौर पर बनारस घराने के शास्त्रीय संगीत में बंधा हुआ है। 2012 में डॉ. शकुंतला शुक्ल, व्योमेश शुक्ल, जेपी शर्मा और डॉ. आशीष मिश्र ने साथ मिलकर कई महीनों की कड़ी मेहनत से इसे पूरा किया था। जेपी शर्मा और आशीष मिश्र संगीत निर्देशक हैं। भारत के सभी प्रमुख नाट्य समारोहों, उत्सवों और कला-केंद्रों में इसका मंचन हो चुका है।
मिल चुका है सम्मान
राम की शक्तिपूजा के निर्देशक व्योमेश शुक्ल को 2017 में निर्देशन के लिए और राम की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री स्वाति को 2021 में केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
लड़कियां निभाती हैं राम और लक्ष्मण की भूमिका
राम की शक्ति पूजा के आयोजन में दिखाई देता है कि राम और लक्ष्मण की भूमिका को निभाने का काम लड़कियों को सौंपा गया है। दरअसल, यह प्रयोग बनारस की रामलीलाओं की ‘काउंटर पॉलिटिक्स’ है, जहां सदियों से सीता की भूमिका लड़के ही करते आ रहे हैं। इस नाटक में बनारस की प्राचीन रामलीलाओं के कई प्रमुख प्रतिमाएं प्रदर्शित की जाती हैं।
संसार का सबसे बड़ा सम्मान रूपवाणी के अध्यक्ष व्योमेश शुक्ला ने कहा कि, 'गौरव, अभिनंदन और चुनौती का क्षण है क्योंकि विश्वनाथ मंदिर आस्था का केंद्र तो है ही, बनारस की सदियों पुरानी सभ्यता और संस्कृति का नाभिक भी है। अपनी नाट्य प्रस्तुति के साथ वहां पहुंचना हमारे लिए संसार का सबसे बड़ा सम्मान है।'