मध्य पूर्व में जारी हिंसा एक बार फिर खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है। इजरायल ने गाजा पट्टी पर एक और भीषण हवाई हमला किया है, जिसमें 81 फिलिस्तीनियों की मौत और 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। मृतकों में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में आक्रोश और चिंता गहराती जा रही है।
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस हमले की पुष्टि करते हुए बताया कि हमला अत्यधिक भीड़भाड़ वाले रिहायशी इलाकों को निशाना बनाकर किया गया, जिनमें अपार्टमेंट, स्कूल, स्टेडियम और शरणार्थी कैंप तक शामिल हैं।
3 दिन में 150 से ज्यादा मौतें
इजरायली सेना ने पिछले तीन दिनों (शुक्रवार से रविवार) के दौरान गाजा और उसके आसपास के इलाकों में लगातार हवाई हमले किए हैं। इन हमलों में अब तक करीब 150 फिलिस्तीनियों की जान जा चुकी है और 1,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
रविवार का हमला सबसे भीषण रहा, जिसमें अकेले 81 लोगों की मौत हुई। वहीं, शुक्रवार को 28 और शनिवार को 42 लोगों की जान चली गई थी। इस दौरान गाजा के खान यूनिस और जाबालिया शरणार्थी शिविर जैसे इलाकों को भी निशाना बनाया गया।
बर्बादी की दास्तान: अस्पतालों में लाशें, सड़कों पर मलबा
गाजा में रह रहे विस्थापित यूसुफ अबू नासेर ने बताया कि इजरायली हमले में उनका अपार्टमेंट भी मलबे में तब्दील हो गया। “मेरे पिता और बेटी मलबे में दब गए थे, बड़ी मुश्किल से उन्हें जिंदा निकाला गया,” उन्होंने कहा। यूसुफ के मुताबिक, इजरायल ने जानबूझकर उन इलाकों को निशाना बनाया जहां पहले से ही हजारों शरणार्थी रह रहे हैं।
गाजा के अस्पतालों की हालत भी बेहद खराब है। लगातार घायल मरीजों की आमद से इमरजेंसी सेवाएं चरमरा गई हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, मलबे से निकाले जा रहे घायल बच्चों की संख्या बेहद ज्यादा है, और आक्सीजन सिलेंडर, खून, दवाइयों और स्ट्रेचर की भारी कमी हो चुकी है।
इजरायल का दावा: हमले आतंकियों पर
जरायली सेना ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि ये हमले “हमास के ठिकानों और कमांड सेंटर्स” पर किए गए हैं। इजरायल के अनुसार, वे गाजा से दागे गए रॉकेटों का जवाब दे रहे हैं और केवल उन जगहों को निशाना बना रहे हैं जहां उन्हें “आतंकी गतिविधियों के प्रमाण” मिल रहे हैं।
हालांकि, जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयान करती है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया और मानवीय संगठनों की रिपोर्टों के अनुसार, हमलों में नागरिक इलाकों को निशाना बनाए जाने की पुष्टि हो रही है।
ट्रंप के शांति संकेत को किया नजरअंदाज
इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा संकट को लेकर इजरायल और फिलिस्तीन के बीच बातचीत की संभावना जताई थी। ट्रंप ने एक दिन पहले कहा था कि "गाजा मामले में अगले सप्ताह तक सहमति बन सकती है।"
लेकिन इजरायल के ताजा हवाई हमलों ने शांति की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। जानकारों का मानना है कि इन हमलों के बाद अब सीजफायर पर बातचीत फिलहाल टल गई है। अमेरिका की मध्यस्थता की कोशिशें भी असफल होती दिख रही हैं।
मानवाधिकार संगठनों की आलोचना
ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठनों ने इजरायल के इन हमलों की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि गाजा के नागरिक इलाकों पर हमले अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन हैं।
इन संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है और दोनों पक्षों से सीजफायर और शांति वार्ता की अपील की है।
कब रुकेगी यह हिंसा?
गाजा और इजरायल के बीच यह संघर्ष कोई नया नहीं है। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सबसे ज्यादा नुकसान आम नागरिकों का हो रहा है। मासूम बच्चों की मौतें, महिलाओं की चीखें और मलबे के नीचे दबे परिवार एक बार फिर से यह सवाल खड़ा करते हैं—क्या युद्ध के रास्ते शांति संभव है?
इजरायल की आक्रामक रणनीति और हमास के जवाबी हमले एक ऐसे दुष्चक्र में तब्दील हो चुके हैं, जिसका अंत दिखाई नहीं दे रहा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब बयानबाजी से आगे बढ़कर प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
निष्कर्ष
गाजा पर इजरायल का हालिया हमला केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि मानवीय त्रासदी बनता जा रहा है। जहां एक ओर राजनीतिक समीकरण इस हिंसा को हवा दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आम नागरिक इसकी सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं।
अब वक्त आ गया है जब संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ जैसे शक्तिशाली संगठन सिर्फ बयान नहीं, वास्तविक दबाव और कूटनीतिक हस्तक्षेप करके इस युद्ध को रोकें। वरना हर अगला हमला सिर्फ मासूम लाशों की गिनती बढ़ाएगा