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26 यूरोपीय देशों पर भड़का रूस, यूक्रेन के समर्थन में लिए गए फैसले पर जताई नाराजगी

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Posted On:Friday, September 5, 2025

यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सामने आया है। यूरोप के 26 देशों ने मिलकर यूक्रेन के लिए एक संयुक्त सिक्योरिटी फोर्स बनाने का ऐलान किया है, जिसका उद्देश्य यूक्रेन की सेना को मज़बूती देना और उसे दीर्घकालिक सुरक्षा गारंटी प्रदान करना है। इस कदम को यूरोप की ओर से यूक्रेन को दिए जा रहे समर्थन का एक निर्णायक संकेत माना जा रहा है, वहीं रूस ने इस फैसले पर गंभीर आपत्ति जताई है।

रूस ने जताई कड़ी नाराजगी

रूस के विदेश मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को "पूरे यूरोपीय महाद्वीप के लिए खतरे की गारंटी" करार दिया है। रूस का कहना है कि यदि किसी भी रूप में यूक्रेन में विदेशी सैनिकों की तैनाती होती है, तो इसे मास्को के खिलाफ उकसावे की कार्रवाई माना जाएगा, और इसका "कड़ा और निर्णायक जवाब" दिया जाएगा। रूसी अधिकारियों के अनुसार, यह निर्णय न सिर्फ मास्को के लिए अस्वीकार्य है, बल्कि यह यूरोप में शांति और स्थिरता को खतरे में डाल सकता है।

यूरोपीय नेताओं की ट्रंप से मुलाकात

यूरोपीय देशों के शीर्ष नेताओं ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ बैठक करने के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात की। इस मुलाकात में यूरोपीय नेताओं ने ट्रंप से आग्रह किया कि वे यूक्रेन को रूस से सुरक्षा गारंटी दिलवाने में अमेरिका की भूमिका को स्पष्ट करें। ट्रंप ने भले ही यूक्रेन में अमेरिकी सेना की जमीनी तैनाती से इनकार किया हो, लेकिन उन्होंने यूक्रेनी हवाई क्षेत्र में अमेरिकी वायुसेना की संभावित भूमिका से इनकार नहीं किया।

कौन-कौन देश होंगे फोर्स का हिस्सा?

इस सिक्योरिटी फोर्स में फ्रांस, ब्रिटेन, इटली और जर्मनी जैसे यूरोप के प्रमुख देश शामिल होंगे। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने कहा कि यह फोर्स शांति स्थापना के बाद यूक्रेन में स्थायित्व और सुरक्षा की गारंटी देने का काम करेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस पहल को जल्द ही अमेरिका का भी समर्थन मिलेगा।

फ्रंटलाइन से दूर तैनात होंगे सैनिक

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इस सहयोग को "यूक्रेन की जीत की ओर एक बड़ा कदम" बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस फोर्स के सैनिक फ्रंटलाइन से दूर तैनात रहेंगे और उनकी भूमिका सहायता व निगरानी तक सीमित होगी। इसका उद्देश्य सीधे युद्ध में शामिल होना नहीं, बल्कि सैन्य संरचनाओं को मजबूत करना और प्रशिक्षण प्रदान करना है।

भारत की भूमिका और कूटनीतिक प्रयास

इस बीच, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय नेताओं से बातचीत कर शांति और कूटनीति के जरिए इस संघर्ष को खत्म करने की अपील की। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भी स्पष्ट किया कि यह संकट युद्ध से नहीं, बल्कि संवाद और समझौते से सुलझाया जाना चाहिए। यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने पीएम मोदी से फोन पर बातचीत कर रूस को शांतिपूर्ण समाधान की ओर लाने में भारत की मदद मांगी।

निष्कर्ष

यूरोप की ओर से यूक्रेन के लिए सुरक्षा बल बनाने का ऐलान रूस के लिए सीधी चुनौती है। जहां एक ओर यह फैसला यूक्रेन को दीर्घकालिक समर्थन का आश्वासन देता है, वहीं दूसरी ओर यह रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव को और गहरा कर सकता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह कदम शांति की ओर ले जाएगा, या एक नए संघर्ष की भूमिका तैयार करेगा।


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