मुंबई, 15 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। श्रीलंका के संसदीय चुनाव में राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के गठबंधन NPP की जीत हुई है। सभी सीटों के नतीजों सामने आ चुके हैं। NPP ने जिलों के आधार पर तय होने वाली 196 सीटों में से 141 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है। नतीजों के मुताबिक NPP को 61% यानी 68 लाख वोट मिले हैं। दूसरे स्थान पर 18% वोट और 35 सीटों के साथ मुख्य विपक्षी SJB पार्टी मौजूद है। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के समर्थन वाले नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट को 5% वोट और 3 सीटें ही मिली हैं। वहीं श्रीलंका की राजनीति में दबदबा रखने वाले राजपक्षे परिवार की श्रीलंका पीपल्स फ्रंट (SLPP) पार्टी 2 सीटों के साथ पांचवें स्थान पर पहुंच गई है। इसके साथ ही 29 सीटों को सभी पार्टियों के बीच वोटिंग % के आधार पर बांट दिया गया है।
NPP ने तमिल जिले जाफना में भी जीत हासिल की है। यहां NPP को 6 में 3 सीटों पर जीत मिली है। NPP की जीत से पारंपरिक तमिल दलों को बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रपति दिसानायके को संसद में मिले बहुमत के बाद उनकी ताकत में इजाफा हुआ है। दरअसल संसद से मंजूरी मिलने के बाद ही राष्ट्रपति दिसानायके सरकार की महत्वपूर्ण नीतियों को लागू कर सकते हैं। इस साल सितंबर में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद दिसानायके ने संसद को भंग कर दिया था। इसके बाद संसदीय चुनाव का ऐलान किया गया था। श्रीलंका में आखिरी बार अगस्त 2020 में संसदीय चुनाव हुए थे। पिछली बार दिसानायके की पार्टी को सिर्फ 3 सीटें मिली थी।
अलजजीरा के मुताबिक राष्ट्रपति दिसानायके का मानना है कि देश की शक्ति काफी हद तक ‘कार्यकारी राष्ट्रपति’ के अधीन है। वे इस पावर को कम करने का वादा लेकर चुनाव में उतरे थे, लेकिन उन्हें संविधान में बदलाव की जरूरत होगी। उन्हें इसके लिए दो-तिहाई सीटें चाहिए। दिसानायके ने संसदीय चुनाव में जनता से इतनी सीटें जिताने की अपील की थी। श्रीलंका में कार्यकारी राष्ट्रपति पद पहली बार 1978 में अस्तित्व में आया था। इसके बाद से ही इसकी आलोचना होती रही है, लेकिन सत्ता में आने के बाद अब तक किसी भी दल ने इसकी ताकत को खत्म करने की कोशिश नहीं की है। दिसानायके ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और रानिल विक्रमसिंघे के दौर में IMF के साथ हुई डील में सुधार करने का वादा किया है।