आजकल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भ्रामक जानकारी तेजी से फैल रही है। खासतौर पर सरकारी योजनाओं से जुड़े दावे अक्सर बिना किसी आधार के वायरल हो जाते हैं। ऐसा ही एक फर्जी दावा हाल ही में वायरल हुआ, जिसमें कहा गया कि सरकार 8वीं कक्षा से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक के छात्रों को मुफ्त स्मार्ट टैबलेट दे रही है। आइए जानते हैं इस दावे की सच्चाई क्या है और सरकारी फैक्ट चेक एजेंसी PIB ने इस पर क्या कहा।
क्या है वायरल दावा?
सोशल मीडिया पर एक वायरल मैसेज में कहा जा रहा है:
"डिजिटल शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार 8वीं कक्षा से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक के सभी छात्रों को फ्री स्मार्ट टैबलेट योजना 2024-25 के तहत टैबलेट देगी।"
इस संदेश के साथ एक लिंक भी साझा किया जा रहा है, जिस पर क्लिक करने से रजिस्ट्रेशन या फॉर्म भरने जैसी बात कही जा रही है। कई यूट्यूब चैनल इस फर्जी योजना को लेकर वीडियो बनाकर लाखों व्यूज़ बटोर रहे हैं।
PIB फैक्ट चेक में क्या निकला?
सरकारी प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने इस वायरल दावे की जांच की और साफ तौर पर इसे फर्जी और भ्रामक बताया है। PIB फैक्ट चेक टीम ने आधिकारिक रूप से कहा:
“केंद्र सरकार द्वारा ऐसी कोई योजना नहीं चलाई जा रही है जिसमें छात्रों को मुफ्त में टैबलेट दिए जाएं। यह दावा पूरी तरह से गलत है। कृपया ऐसे दावों पर विश्वास न करें और इन्हें आगे न बढ़ाएं।”
PIB ने लोगों को सचेत करते हुए यह भी कहा कि सरकारी योजनाओं से जुड़ी सत्यापित जानकारी केवल संबंधित मंत्रालयों या विभागों की आधिकारिक वेबसाइट से ही प्राप्त करें।
फर्जी योजना के पीछे क्या मंशा हो सकती है?
इस तरह के फर्जी दावों के पीछे कई बार धोखाधड़ी करने वाले साइबर अपराधियों का हाथ होता है। वे इस तरह के लिंक पर क्लिक करवाकर:
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आपकी व्यक्तिगत जानकारी चुरा सकते हैं।
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आपके डिवाइस में वायरस या मैलवेयर डाल सकते हैं।
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बैंक डिटेल्स मांगकर ऑनलाइन फ्रॉड कर सकते हैं।
इसलिए जरूरी है कि आप किसी भी योजना की सच्चाई जाने बिना कोई फॉर्म न भरें, कोई ऐप न डाउनलोड करें और कोई OTP न शेयर करें।
क्यों फैलते हैं ऐसे भ्रामक दावे?
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भारत में बड़ी संख्या में छात्र और युवा हैं, जो सरकारी योजनाओं की आस में रहते हैं।
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डिजिटल शिक्षा की मांग तेजी से बढ़ रही है, और तकनीक तक पहुंचना हर छात्र की प्राथमिकता है।
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इसी लालच और उम्मीद का फायदा उठाकर कुछ लोग फर्जी योजनाओं के नाम पर गलत सूचना फैलाते हैं।