भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर विदेशी निवेशकों की मजबूत वापसी देखने को मिल रही है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 23 जून से 27 जून 2025 के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय बाजारों में 13,107.54 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। यह एक ऐसा संकेत है जो न केवल बाजार की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत अब भी एक विश्वसनीय और आकर्षक निवेश गंतव्य बना हुआ है।
जून में कुल निवेश 8,915 करोड़ रुपए तक पहुंचा
इस हफ्ते के निवेश को जोड़ने के बाद, जून माह में कुल शुद्ध निवेश अब 8,915 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इस मजबूत निवेश का प्रमुख कारण है वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों में कमी और घरेलू नीतिगत स्थिरता। विशेष रूप से सोमवार और शुक्रवार को भारी खरीदारी दर्ज की गई, जिससे बाजार में सकारात्मक रुख बना रहा।
वैश्विक तनाव कम हुआ, निवेशकों की धारणा में बदलाव
हाल के दिनों में अमेरिका, ईरान और इज़राइल के बीच के तनावों में कमी आने से वैश्विक स्तर पर निवेशकों की भावना में सुधार देखा गया है। इसका सीधा असर भारत जैसे उभरते हुए बाजारों (emerging markets) पर पड़ा है। विदेशी निवेशक अब भारत को न केवल एक विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में देख रहे हैं, बल्कि वे इसे राजनीतिक और आर्थिक रूप से स्थिर भी मान रहे हैं।
इस बदलाव ने एफपीआई निवेशकों को भारत में दोबारा निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि अन्य वैश्विक बाजारों में उतनी स्थिरता और वृद्धि की संभावना नहीं है, जितनी फिलहाल भारत में दिखाई दे रही है।
घरेलू स्तर पर भी मजबूत संकेत
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती की है। यह निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से लिया गया है। इसके अलावा, देश में मुद्रास्फीति भी नियंत्रण में है, जो निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
आरबीआई का यह कदम निवेश के माहौल को और अनुकूल बनाता है। सस्ती पूंजी और स्थिर महंगाई दर की वजह से निवेशकों को अच्छे रिटर्न की संभावना दिखाई देती है, जिससे बाजार में पूंजी का प्रवाह बढ़ता है।
मई में भी दिखा था निवेश का पॉजिटिव ट्रेंड
अगर पिछले महीनों की बात करें, तो मई 2025 में शुद्ध एफपीआई निवेश 19,860 करोड़ रुपये रहा था, जो इस वर्ष का अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन था। इससे पहले मार्च 2025 में एफपीआई ने 3,973 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की थी। वहीं, जनवरी और फरवरी में एफपीआई द्वारा क्रमश: 78,027 करोड़ और 34,574 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी।
इस गिरावट के बाद मई और जून में फिर से निवेश बढ़ना, बाजार में ट्रेंड रिवर्सल की ओर इशारा करता है। यानी अब विदेशी निवेशक फिर से भारत की तरफ झुकाव दिखा रहे हैं, जो दीर्घकालिक दृष्टिकोण से बेहद सकारात्मक संकेत है।
भारत क्यों बना है निवेश का हॉटस्पॉट?
भारत की ओर विदेशी निवेशकों का रुझान बढ़ने के पीछे कई वजहें हैं:
-
मजबूत आर्थिक बुनियादी ढांचा
-
राजनीतिक स्थिरता
-
सरकार की व्यवसाय-अनुकूल नीतियां
-
युवा और तेजी से बढ़ती उपभोक्ता जनसंख्या
-
टेक्नोलॉजी और डिजिटल सेक्टर में अग्रणी प्रगति
इन कारकों ने मिलकर भारत को एक ऐसा ग्लोबल इन्वेस्टमेंट हब बना दिया है, जहां दीर्घकालिक लाभ की बड़ी संभावना है।
आगे की राह
भले ही वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है, लेकिन भारत की स्थिरता और बढ़ती विकास दर विदेशी निवेशकों को लगातार आकर्षित कर रही है। यदि इसी तरह आर्थिक सुधार जारी रहे, नीतियां पारदर्शी बनी रहें, और वैश्विक स्तर पर तनाव नियंत्रित रहे, तो आने वाले महीनों में एफपीआई निवेश में और तेजी आ सकती है।
निष्कर्ष
भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशकों की हालिया वापसी न केवल बाजार की मजबूती का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक निवेश मानचित्र पर पहले से ज्यादा मजबूत स्थिति में खड़ा है। जून माह में अब तक के आंकड़े उम्मीद जगाते हैं कि भारत आने वाले समय में निवेशकों के लिए सबसे पसंदीदा गंतव्यों में से एक बना रहेगा।