भारत अब दुनिया की एविएशन ताकत बन रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय विमानन सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित इस वैश्विक मंच पर प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे भारत की विमानन इंडस्ट्री ने बीते 10 सालों में जबरदस्त प्रगति की है। उन्होंने कहा कि भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बन चुका है और आने वाले समय में यह और भी तेजी से आगे बढ़ेगा।
भारत की ऊंची उड़ान की तीन वजहें: मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की एविएशन इंडस्ट्री के विकास के तीन मजबूत आधार बताए:
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बड़ा और आकांक्षी बाजार – भारत में तेजी से बढ़ता मध्यम वर्ग अब हवाई यात्रा को अपनी प्राथमिकता में शामिल कर रहा है। इससे घरेलू विमानन सेवाओं की मांग बढ़ी है। छोटे शहरों और कस्बों तक एयर कनेक्टिविटी की पहुंच बढ़ी है, जिससे कई नई उड़ानों की शुरुआत हुई है।
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युवा और टैलेंटेड जनसंख्या – भारत के युवा आज एआई, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में दुनिया को लीड कर रहे हैं। इस जनसंख्या ने एविएशन सेक्टर में तकनीकी और प्रबंधन के क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं।
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सरल और सहयोगी नीति – सरकार ने एयरपोर्ट, विमान खरीद और एविएशन बिजनेस के लिए एक मजबूत और सहज माहौल तैयार किया है। 100% विदेशी निवेश की अनुमति, टैक्स में छूट और नीतिगत सहूलियतों से विमानन क्षेत्र में निवेश तेजी से बढ़ा है।
उड़ान योजना और एयर कनेक्टिविटी का विस्तार
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘उड़ान योजना’ का खास जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इस योजना के कारण भारत के छोटे और पिछड़े इलाकों में भी हवाई कनेक्टिविटी बढ़ी है। अब तक 1.5 करोड़ से अधिक लोगों ने पहली बार हवाई यात्रा का अनुभव किया है। वर्तमान में भारत में हर साल 24 करोड़ से ज्यादा लोग हवाई सफर करते हैं और यह संख्या आने वाले वर्षों में 50 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। इसके अलावा भारत की एयर कार्गो सेवा भी तेजी से बढ़ रही है, जहां हर साल लगभग 3.5 मिलियन टन माल हवाई मार्ग से जाता है, जिसे बढ़ाकर 10 मिलियन टन तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
2014 में भारत में सीमित संख्या में एयरपोर्ट थे, जबकि अब देश में 162 एयरपोर्ट सक्रिय हैं। साथ ही, भारतीय एयरलाइंस ने 2,000 नए विमानों का ऑर्डर दिया है, जिससे विमानन क्षेत्र में और अधिक अवसर और रोज़गार उत्पन्न हो रहे हैं।
टेक्नोलॉजी और ग्रीन एविएशन
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘Digi Yatra’ जैसी तकनीकों का भी जिक्र किया, जो यात्रियों को चेहरे की पहचान से पेपरलेस यात्रा की सुविधा देती हैं। यह प्रणाली विश्व स्तर पर मॉडल के रूप में देखी जा रही है। इसके अलावा भारत सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) और कम कार्बन उत्सर्जन वाली तकनीकों के विकास पर जोर दे रहा है, ताकि विमानन क्षेत्र पर्यावरण के अनुकूल हो सके।
भारत बनेगा एविएशन का ग्लोबल हब
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश $4 बिलियन के Maintenance, Repair & Overhaul (MRO) हब के रूप में उभरे। फिलहाल भारत में 154 MRO यूनिट्स काम कर रही हैं। सरकार ने इस सेक्टर में निवेश बढ़ाने के लिए 100% FDI की अनुमति दी है और टैक्स में भी छूट दी जा रही है। इससे यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है और विश्व में भारत की प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
महिलाओं का बढ़ता योगदान
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की एविएशन इंडस्ट्री में महिलाओं की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। भारत में पायलटों में 15% महिलाएं हैं, जो विश्व औसत से तीन गुना ज्यादा है। इसके अलावा केबिन क्रू में 86% महिलाएं कार्यरत हैं। अब महिला इंजीनियर और तकनीशियन भी इस क्षेत्र में तेजी से प्रवेश कर रही हैं, जिससे विमानन क्षेत्र में एक नई पहचान बन रही है।
ड्रोन टेक्नोलॉजी और सुरक्षा
भारत ने ड्रोन तकनीक का उपयोग खेती, महिला सशक्तिकरण और अन्य सामाजिक कार्यों में शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने ICAO (International Civil Aviation Organization) की सुरक्षा गाइडलाइंस को अपनाया है, जिससे देश की एविएशन सुरक्षा मानकों में सुधार हुआ है और दुनिया से प्रशंसा मिली है। भारत ‘Open Skies’ और ‘Global Connectivity’ के लिए प्रतिबद्ध है, और सभी देशों से अपील की है कि वे मिलकर एक ऐसा प्रणाली बनाएं जिससे हवाई यात्रा सभी के लिए सस्ती, सुरक्षित और सुलभ हो।
समापन
इस अंतरराष्ट्रीय विमानन सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू, IATA प्रमुख विली वॉल्श, इंडिगो के एमडी राहुल भाटिया सहित दुनियाभर की विमानन कंपनियों के 1,600 से ज्यादा प्रतिनिधि मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मंच पर भारत की विमानन ताकत का परिचय देते हुए स्पष्ट किया कि आने वाले समय में भारत न केवल घरेलू विमानन में, बल्कि वैश्विक विमानन उद्योग में भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभरेगा।
भारत की इस उड़ान में नई तकनीक, मजबूत नीतियां, युवा प्रतिभा और वैश्विक सहयोग तीनों का बड़ा योगदान होगा, जो इसे विश्व के अग्रणी विमानन देशों की कतार में खड़ा कर देगा।