भारत के लिए गौरव का क्षण है जब हमारे अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा और अनुशासन से देश का नाम रोशन कर रहे हैं। ऐसे ही एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इन दिनों इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर मिशन एक्सिओम-4 का हिस्सा हैं। वे वहां वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ-साथ भारत के बच्चों और नागरिकों से संवाद कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अंतरिक्ष से अपना पहला वीक ऑफ मनाते हुए न सिर्फ अपने परिवार से बात की, बल्कि भारतीय स्कूलों के बच्चों से भी जुड़ाव बनाए रखा।
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष में पहली छुट्टी
अंतरिक्ष में रहते हुए शुभांशु शुक्ला का पहला वीक ऑफ काफी खास रहा। उन्हें ISS पर गए हुए एक सप्ताह पूरा हो चुका है और इस अवसर पर उन्होंने अपना वीक ऑफ अपने परिवार से वीडियो कॉल कर मनाया। उन्होंने अपने माता-पिता और बच्चों से साधारण, आत्मीय बातचीत की और बताया कि अंतरिक्ष में जीवन कितना अलग और चुनौतीपूर्ण है। परिवार से बातचीत के बाद वे दोबारा अपने मिशन के वैज्ञानिक कार्यों में जुट गए।
अंतरिक्ष मिशन Axiom-4 से जुड़ी जानकारी के अनुसार, टीम ने बुधवार तक 113 बार पृथ्वी की परिक्रमाएं पूरी कर ली थीं। यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। Axiom स्पेस के आधिकारिक ब्लॉग में बताया गया कि इस दिन पूरी टीम ने आराम किया और व्यक्तिगत रुचियों में समय बिताया।
छात्रों से जुड़ाव और प्रेरणा
शुभांशु शुक्ला न सिर्फ एक वैज्ञानिक हैं, बल्कि देश के युवाओं के लिए प्रेरणा भी हैं। अपने व्यस्त मिशन शेड्यूल के बीच उन्होंने केरल और लखनऊ के सरकारी स्कूलों के छात्रों के साथ संवाद किया। इस संवाद में उन्होंने छात्रों से अपने अनुभव साझा किए और अंतरिक्ष यात्रा की जटिलताओं को सरल भाषा में समझाया।
केरल के कोझिकोड जिले के नयारकुझी स्कूल की छात्रा संगीवी, जो कक्षा 10 में पढ़ती है, ने कहा कि वह बहुत उत्साहित थी कि उसे शुभांशु शुक्ला से सीधे बात करने का मौका मिला। छात्रों को 10 मिनट का समय मिला जिसमें उन्होंने उत्साहपूर्वक सवाल पूछे:
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स्पेस में खाना कैसे खाते हैं?
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क्या वहां खेल खेल सकते हैं?
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सूरज अंतरिक्ष से कैसा दिखता है?
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नींद कैसे आती है?
शुभांशु ने हर सवाल का जवाब बड़े धैर्य और सरलता से दिया, जिससे बच्चों का आत्मविश्वास और जिज्ञासा दोनों बढ़ी।
स्पेस में कैसे बिताते हैं वीक ऑफ?
शुभांशु शुक्ला ने बताया कि वीक ऑफ के दिन वे हल्के-फुल्के योग और स्ट्रेचिंग करते हैं, क्योंकि माइक्रोग्रैविटी में शरीर को चुस्त बनाए रखना जरूरी होता है। इसके अलावा, वे किताबें पढ़ते हैं और संगीत सुनते हैं। इस दिन उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत का आनंद भी लिया और अपने सहयात्रियों को भी भारतीय संगीत की झलक दिखाई।
भारत की झलक अंतरिक्ष से
शुभांशु शुक्ला पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर चुके हैं और उन्होंने कहा था, "भारत अंतरिक्ष से और भी भव्य दिखता है।" उन्होंने बताया कि रात के समय भारत की चमकती लाइट्स और पर्वतीय क्षेत्रों की बनावट अद्भुत लगती है। उन्होंने खासतौर पर गंगा नदी की चमकती धारा और हिमालय की बर्फीली चोटियों का वर्णन किया।
निष्कर्ष
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज हर भारतीय के लिए गर्व का कारण हैं। उनका यह प्रयास कि वे अंतरिक्ष से भी भारत के छात्रों और नागरिकों से जुड़े रहें, यह दिखाता है कि विज्ञान और इंसानियत का मेल कितना जरूरी है। उनकी यह यात्रा सिर्फ वैज्ञानिक प्रयोगों तक सीमित नहीं, बल्कि भारत के उज्ज्वल भविष्य को प्रेरित करने की एक कड़ी भी है।
अंतरिक्ष में रहकर भी जो अपने देश, संस्कृति और बच्चों से जुड़ा रहे – वह सच्चा भारतीय होता है। शुभांशु शुक्ला न केवल अंतरिक्ष में उड़ान भर रहे हैं, बल्कि करोड़ों दिलों में भी।