मुंबई, 06 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। चुनाव आयोग ने सोमवार को 7 राज्यों की 8 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान किया है। इन सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा और 14 नवंबर को मतगणना के बाद नतीजे घोषित किए जाएंगे। जम्मू-कश्मीर में बडगाम और नागरोटा, राजस्थान में अंता, झारखंड में घाटशिला (एसटी), तेलंगाना की जुबली हिल्स, पंजाब की तरनतारन, मिजोरम की डम्पा और ओडिशा की नुआपाड़ा विधानसभा सीटों पर ये चुनाव होंगे।
जम्मू-कश्मीर में बडगाम और नगरोटा सीटें अक्टूबर 2024 से खाली हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दो सीटों से जीत हासिल की थी, लेकिन 21 अक्टूबर 2024 को उन्होंने गंदेरबल सीट अपने पास रखते हुए बडगाम सीट छोड़ दी थी। वहीं, नगरोटा सीट विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के बाद 31 अक्टूबर 2024 को खाली हो गई थी। राजस्थान में बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होने जा रहा है। यहां विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी खत्म होने के बाद यह सीट खाली हुई। उन्हें एसडीएम पर पिस्टल तानने के 20 साल पुराने मामले में सजा हुई थी। 2023 के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे खेमे के समर्थक कंवरलाल मीणा ने कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे प्रमोद जैन भाया को हराया था।
पंजाब में आम आदमी पार्टी की तरनतारन सीट विधायक कश्मीर सिंह सोहल के निधन के बाद रिक्त हुई। इस उपचुनाव के लिए कांग्रेस, आप, अकाली दल और भाजपा ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। आप ने अकाली दल छोड़कर आए हरमीत संधू को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने करणबीर सिंह बुर्ज पर भरोसा जताया है। भाजपा ने हरजीत सिंह संधू को और शिरोमणि अकाली दल ने “आजाद ग्रुप” की नेता प्रिंसिपल सुखविंदर कौर रंधावा को प्रत्याशी बनाया है।
झारखंड की घाटशिला सीट पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन से खाली हुई थी। यह सीट पूर्वी सिंहभूम जिले में आती है और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां लगभग ढाई लाख मतदाता हैं। झामुमो की ओर से रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन का उम्मीदवार बनना तय माना जा रहा है। अब सभी की नजर भाजपा पर है कि वह इस बार पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को फिर से मैदान में उतारेगी या किसी नए चेहरे पर दांव लगाएगी। तेलंगाना की जुबली हिल्स सीट BRS विधायक मगंती गोपीनाथ के निधन के बाद जून में खाली हुई थी। मिजोरम की डम्पा सीट 21 जुलाई को एमएनएफ विधायक लालरिन्टलुआंगा सैलो के निधन के बाद रिक्त हुई, जबकि ओडिशा की नुआपाड़ा सीट 8 सितंबर को भाजपा विधायक राजेंद्र ढोलकिया के निधन के चलते खाली पड़ी है।