मुंबई, 07 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर कुमार ने अपने कदम का बचाव करते हुए कहा कि वह भगवान विष्णु पर CJI की टिप्पणी से गहराई से आहत थे। उन्होंने कहा कि यह उनका रिएक्शन था, न कि कोई सोची-समझी हरकत। राकेश ने साफ कहा कि वे नशे में नहीं थे और उन्हें अपने किए पर न तो पछतावा है और न ही किसी सजा का डर। राकेश ने आरोप लगाया कि चीफ जस्टिस धार्मिक मामलों को लेकर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर विशेष समुदाय का कब्जा होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पहले उस पर स्टे लगा रखा है। वहीं जब सनातन धर्म से जुड़े मामलों की बात आती है, तो अदालत का रवैया अलग दिखाई देता है।
घटना 6 अक्टूबर की दोपहर हुई, जब CJI गवई एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। तभी वकील राकेश किशोर ने जूता फेंक दिया, जो बेंच तक नहीं पहुंच पाया। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उसे पकड़ लिया और तीन घंटे तक सुप्रीम कोर्ट कैंपस में पूछताछ की। पुलिस ने बताया कि कोर्ट अधिकारियों ने कोई औपचारिक शिकायत नहीं दी, जिसके बाद वकील को छोड़ दिया गया। घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने राकेश किशोर का वकालत लाइसेंस रद्द कर दिया और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। BCI चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि यह वकीलों के आचरण के नियमों का गंभीर उल्लंघन है और आरोपी को अब किसी भी अदालत में प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं होगी। BCI ने 15 दिन के भीतर शो कॉज नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया है।
CJI गवई की मां कमलताई गवई ने कहा कि इस तरह की घटनाएं देश में अराजकता फैला सकती हैं और यह अंबेडकर के संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है, जो ‘जियो और जीने दो’ की भावना पर आधारित है। वहीं, उनकी बहन कीर्ति गवई ने कहा कि यह घटना एक जहरीली विचारधारा का प्रतीक है और विरोध हमेशा शांतिपूर्ण और संवैधानिक होना चाहिए। SCBA अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि भगवान विष्णु की मूर्ति वाले केस में CJI की टिप्पणी को गलत तरीके से पेश किया गया था, जिससे भ्रम पैदा हुआ कि उन्होंने देवता का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि वकील ने केवल मशहूर होने के लिए ऐसा कदम उठाया।
राकेश किशोर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 16 सितंबर को जब एक व्यक्ति ने भगवान विष्णु की मूर्ति से संबंधित याचिका दायर की थी, तब CJI गवई ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा कि “मूर्ति से कहो कि अपना सिर रिस्टोर कर ले।” राकेश ने कहा कि इस टिप्पणी से उन्हें गहरा दुख हुआ और उन्होंने प्रतिक्रिया में यह कदम उठाया। जूता फेंकते समय वह नारा लगाते हुए बोले, “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।” घटना के बाद भी अदालत की कार्यवाही सामान्य रूप से जारी रही। CJI गवई ने वकीलों से कहा कि वे अपनी दलीलें जारी रखें और ऐसी बातों से परेशान न हों। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसी घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता।