वाराणसी,11 मई। बनारस का नाम आते ही गंगा घाटों की आकृतियां अपने आप मन मस्तिष्क व जेहन में बनने लगती हैं। कहा जाता है कि बनारस और गंगा घाट एक दूसरे के बिन जैसे अधूरे। कोरोना में गंगा घाटों पर सैलानियों की आवाजाही थमी हुई है। सुबह व शाम घाटों की सैर करने वाले शहरवासियों ने भी घाटों से दूरी बना ली है। अस्सी घाट पर सुबह-ए-बनारस मंच पर अब न तो भक्ति भजन होती है और न ही उस उल्लास के साथ अब आरती व हवन पूजन। सुबह-ए-बनारस मंच पर बीएचयू के संगीत शिक्षकों और संगीत की छात्र-छात्राएं भी अब अपनी सुर, लय और ताल का जादू नहीं बिखेर पा रही हैं। सब कुछ थम सा गया है। लिहाजा घाट के प्लेटफार्म खाली हैं तो घाट किनारे रहने वाले बच्चों और युवकों ने क्रिकेट खेलने के उपयोग में ले लिया है। सुबह में कई संख्या में बच्चे व युवक जुट रहे और क्रिकेट खेल मनोरंजन कर रहे हैं।
पर्यटकों के नहीं आने से घाट किनारे की दुकानें महीने भर से बंद है। अस्सी ही नहीं बल्कि रीवा, गंगा महल, चेत सिंह घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट से लगायत अन्य घाटों पर भी बच्चे क्रिकेट व अन्य कई तरह के खेल के जरिए समय व्यतीत कर रहे हैं। घाट किनारे रहने वाले शंभु, बाबू, राधे झा, जगरनाथ ओझा ने बताया कि घाट खाली हैं तो बच्चें खेलकूद कर रहे हैं। वाराणसी में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने 17 मई तक कोरोना कर्फ्यू का आदेश जारी कर दिया है। आवश्यक सामानों की दुकानें तय समय तक खुल रही हैं। मेडिकल, एम्बुलेंस व शव वाहन को सभी प्रतिबंधों से मुक्त रखा गया है। शाम 4 बजे के बाद घाटों पर सैलानियों के भ्रमण पर जिलाधिकारी ने प्रतिबंध लगा रखा है।