बनारस न्यूज डेस्क: यूपी के आगरा से एक परिवार ने महाकुंभ-2025 के दौरान अपनी 13 साल की बेटी राखी को जूना अखाड़े को दान देने का निर्णय लिया है। राखी अब साध्वी गौरी के नाम से जानी जाएंगी और 19 जनवरी को उनके माता-पिता उनकी जिंदा बेटी का पिंडदान करेंगे। इसके बाद, राखी का परिवार से नाता पूरी तरह खत्म हो जाएगा और वह पूर्ण रूप से साध्वी के रूप में जीवन यापन करेंगी।
यह घटना प्रयागराज महाकुंभ के आयोजन की तैयारियों के बीच सामने आई है, जब राखी ने अपनी साध्वी बनने की इच्छा जाहिर की। राखी के माता-पिता, संदीप सिंह और रीमा, दोनों अपनी बेटी के इस फैसले को स्वीकार कर चुके हैं, और 19 जनवरी को वह अपनी बेटी को जूना अखाड़े को सौंप देंगे। संदीप एक पेठा व्यापारी हैं और रीमा गृहिणी हैं। उनकी दूसरी बेटी भी है, लेकिन राखी उनकी बड़ी बेटी हैं, जो अब 9वीं कक्षा की छात्रा हैं।
राखी के साध्वी बनने का सफर करीब चार साल पहले शुरू हुआ, जब उनके मोहल्ले में कौशल गिरि द्वारा भागवत कथा कराई गई। इसी कथा के दौरान भक्ति का बीज उनके मन में पका और राखी ने साध्वी बनने का संकल्प लिया। इसके बाद, 26 दिसंबर को महाकुंभ मेला क्षेत्र में इस परिवार ने शिविर में भाग लिया, जहां राखी ने अपनी इच्छा जाहिर की। इस निर्णय के बाद, उनके परिवार और गुरु ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन राखी ने अपनी सोच पर अडिग रहते हुए इस रास्ते को अपनाया।
परिवार की इस अनोखी पहल से उनके समाज में काफी चर्चा हो रही है। हालांकि राखी के माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी और शिक्षक उन्हें समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन राखी ने सभी की बातें अनसुनी करते हुए अपनी साध्वी बनने की इच्छा को पूरा किया। अब वह जूना अखाड़े में शामिल हो चुकी हैं और 19 जनवरी को इस निर्णय को पूरी तरह से साकार कर लिया जाएगा।