बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से हालात फिर बिगड़ गए हैं। तीन महीने में यह चौथी बार है जब गंगा ने उफान मारते हुए तीन तहसीलों के 90 गांव और शहर के 28 मोहल्लों को डुबो दिया। इससे 1,830 परिवारों के करीब 8,047 लोग बेघर हो गए हैं। दशाश्वमेध घाट रोड पर गंगा का पानी घुस आया है, गलियों में नाव चल रही हैं और गंगा आरती व शवदाह अब छतों पर हो रहे हैं। पर्यटक भी गलियों से ही मां गंगा को नमन कर लौट रहे हैं।
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर से ऊपर बढ़कर 70.77 मीटर पर पहुंच चुका है और धीरे-धीरे खतरे के निशान 71.262 मीटर की ओर बढ़ रहा है। सोमवार की रात तक जलस्तर 70.52 मीटर दर्ज किया गया था और हर घंटे करीब दो सेंटीमीटर का इजाफा हो रहा है। अब तक जिले में 24 बाढ़ राहत शिविर सक्रिय किए जा चुके हैं।
इस बाढ़ ने किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। लगभग 8,124 किसानों की 2166 हेक्टेयर से ज्यादा फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। इनमें से हजारों परिवार राहत शिविरों या रिश्तेदारों के घरों में शरण लेने को मजबूर हैं। प्रशासन की ओर से एनडीआरएफ, पीएसी और जल पुलिस की टीमें 199 नावों के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।
गंगा के साथ-साथ वरुणा नदी भी तटीय इलाकों में पानी भर रही है। कई इलाकों में मकानों में चौथी बार पानी घुस चुका है, जिससे गंदगी और बदबू का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि शिकायत के बावजूद सफाई और कीटनाशक छिड़काव जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं नहीं हो रहीं। किसान खरीफ फसलों की बर्बादी से निराश हैं और उन्हें डर है कि रबी की बोआई भी प्रभावित हो जाएगी।