वाराणसी। जिला जज द्वारा ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में मिले पूजा-पाठ के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने का निर्देश दे दिया था। जिसके बाद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी स्थित व्यास जी तहखाने में हो रही पूजा पाठ पर 15 दिन का रोक लगाने की मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया। यानि कि मुस्लिम पक्ष को इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली है। अब इस मामले को लेकर अगली सुनवाई छह फरवरी को होगी।
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रोहित रंजन अग्रवाल की कोर्ट में दोनों पक्षों के वकील की मौजूदगी में यह सुनवाई हुई है। कोर्ट ने अब इसके लिय 6 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है। सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने कहा कि मुस्लिम पक्ष पहले 17 जनवरी 2024 के जिला जज के आदेश को चुनौती दे। इस आदेश से ज्ञानवापी के तहखाने को जिलाधिकारी वाराणसी को सुपुर्द कर दिया गया है। इसके बाद कोर के आदेशानुसार जिलाधिकारी ने 23 जनवरी को ज्ञानवापी परिसर में स्थित तहखाने को अपने कब्जे में ले लिया है। जिलाधिकारी के ही निगरानी पर वजूखने की साफ सफाई भी गई और फिर अंत में 31 को जिला जज के आदेश के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट और डीएम की मौजूदगी में पुजारी के जरिए व्यासजी के तहखाने में पूजा शुरू की गई। मुस्लिम पक्ष की इस प्रकार की दलील सुनने के बाद हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने अपनी दलील हाईकोर्ट में पेश की और उन्होंने अपील की पोषणीयता पर आपत्ति की।
अगले आदेश तक इसी तरह तहखाने में होगी
पूजा व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ को लेकर दिए गए आदेश के विरोध में आज जो सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई उसमें हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगली सुनवाई के लिए छह फरवरी की तारीख मुकर्रर की गई है और अगली सुनवाई होने तक ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा होती रहेगी।
अपने आदेश में हाईकोर्ट ने वाराणसी प्रशासन और सरकार को यह निर्देश दिया है कि यहां पर कोई अतिरिक्त निर्माण कार्य न कराया जाए। ज्ञानवापी परिसर की सुरक्षा को भी बढ़ने के निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए। 31 साल के बाद जिला जज के आदेश पर शुरू हुई तहखाने में पूजा बता दें कि तहखाने में लगभग 31 साल बाद जिला न्यायालय के आदेश पर पूजा पथ शुरू हुआ। वर्ष 1993 में तत्कालीन मुलायम सरकार के मौखिक आदेश पर जिला प्रशासन ने उक्त स्थल को बैरिकेडिंग करते हुए सील कर दिया था और पूजा-पाठ पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद से हिन्दुओं में आक्रोश था।