वाराणसी । ज्ञानवापी परिसर के व्यासजी के तहखाने में पूजा शुरू होने के बाद अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के द्वारा शुक्रवार को बंद का ऐलान किया गया। अखिल भारतीय संत समिति ने मुस्लिमों के बंदी का विरोध किया है। संत समिति ने कोर्ट के फैसले के विरोध में बंद के आह्वान को न्यायालय की अवहेलना बताया। संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि यह सीधे सीधे भारत के संवैधानिक व्यवस्था और अदालतो को चुनौती दी है और यह धमकी भी है, इनके नेताओं पर कोर्ट को धमकी देने का कंटेंट आप कोर्ट का केस दर्ज किया जाना चाहिए।
यह देश संविधान से चलेगा शरीयत से नहीं चलेगा और अगर हम पलट करके हिंदू धर्माचार्य पूछे कि 1993 में किसके लिखित आदेश से किसने आर्डर दिया था कि व्यास जी के तहखाने और कल श्रीकाशी विद्युत परिषद में नया नामकरण कर दिया कि भगवान का तल गृह है उसके पूजा पाठ को रोकने का आदेश किसके आदेश से हुआ था तो हमने तो चुनौती नहीं दी हमने तो कोर्ट में जाकर उनके पास कोई आदेश हो तो यह बताएं आदेश को दिखाना सके अब धमकी पर उतर आए ला एंड ऑर्डर प्रशासन का विषय है सरकारी इससे शक्ति से निपटेगी यह सरकार का काम है।
हम इतना ही कहेंगे यह हिंदू समाज 20वीं सदी का नहीं है 21वीं सदी का है यह डरा हुआ समझ नहीं है कि अपना हक छीन करके लेना भी जानता है लेकिन हम संविधान का आदर करते हैं और संवैधानिक दायरे में हम अपने खोए हुए सम्मान की पुनर्वापसी कर रहे हैं। बनारस बंद में कौन बंद कर रहा है जो मुसलमान होगा वह उसके सो कार्ड समर्थक तो यह तो तय हो जाएगा कि काशी के स्वाभिमान के साथ क्या काशी की पहचान बाबा विश्वनाथ और गंगा से इतर भी कुछ है क्या तो काशी की पहचान से खिलवाड़ करने वाले और काशी के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति को काशी माफ नहीं करेगी यह उसे ध्यान रखना चाहिए जो ऐसे बंद का समर्थन करते हैं यह बंद का समर्थन नहीं बल्कि संविधान के विरुद्ध यह युद्ध का बिगुल है।