बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित मर्दाना इमामबाड़े का विवाद दिनों-दिन गहराता जा रहा है। नगर निगम और इमामबाड़े के बीच चल रहे इस मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है। इमामबाड़े के भीतर एक प्राचीन कुआं मिलने के बाद सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि यह कुआं मां कुष्मांडा मंदिर से जुड़ा हुआ है और सावन मेले में श्रद्धालु इसके पानी को अमृत समान मानकर पीते थे। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह कुआं इमामबाड़े का हिस्सा है और वर्षों से यहां इस्तेमाल होता रहा है।
इमामबाड़े के सहायक मुतवल्ली साजिक हुसैन का कहना है कि यह कुआं करीब 1883 का है और पहले पूरे परिसर में 14 कुएं हुआ करते थे। उनका दावा है कि कुएं का इस्तेमाल इमामबाड़े के भीतर ही होता रहा है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि अगर कुआं इस्तेमाल में था तो इसे खराब हालत में और दीवारों के पीछे क्यों छुपाकर रखा गया? यह भी आरोप है कि पिछले कई सालों से इस कुएं का पानी निकालते किसी ने नहीं देखा।
स्थानीय लोगों की मानें तो अब से करीब दस साल पहले तक सावन मेले में श्रद्धालु इस कुएं का पानी पीते थे। लेकिन धीरे-धीरे यहां कब्जे होने लगे और कुएं का इस्तेमाल पूरी तरह बंद हो गया। आसपास के लोग मानते हैं कि कुएं के इतिहास और परंपरा से छेड़छाड़ की गई है। यही वजह है कि अब विवाद और गहराता जा रहा है।
इसी बीच नगर निगम ने इमामबाड़े के मुतवल्ली को दो दिन का समय दिया था, जिसकी मियाद खत्म हो चुकी है। हाल ही में सिटी मजिस्ट्रेट की टीम ने मौके का मुआयना भी किया। इमामबाड़े की देखरेख करने वालों का कहना है कि उन्होंने जरूरी दस्तावेज एडीएम सिटी को सौंप दिए हैं। हालांकि सूत्रों के मुताबिक, ये कागजात मालिकाना हक साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में मामला अब और तूल पकड़ता दिख रहा है।