साउथ अफ्रीका के कप्तान वियान मुल्डर ने जिम्बाब्वे के खिलाफ हाल ही में टेस्ट क्रिकेट की एक असाधारण और ऐतिहासिक पारी खेली। उन्होंने नाबाद 367 रन बनाकर दुनिया को चौंका दिया। यह प्रदर्शन इसलिए भी खास रहा क्योंकि वह ब्रायन लारा के 400 रन के विश्व रिकॉर्ड के बेहद करीब पहुंच चुके थे। लेकिन जब सभी को लगा कि मुल्डर लारा का रिकॉर्ड तोड़ने जा रहे हैं, उन्होंने हैरान करते हुए पारी घोषित कर दी। इस फैसले ने सोशल मीडिया से लेकर क्रिकेट विशेषज्ञों तक को चकित कर दिया।
ब्रायन लारा का 21 साल पुराना रिकॉर्ड अब भी कायम
ब्रायन लारा ने अप्रैल 2004 में इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए नाबाद 400 रन बनाए थे, जो अब तक टेस्ट क्रिकेट में व्यक्तिगत सर्वोच्च स्कोर है। इस रिकॉर्ड को तोड़ने के बेहद करीब पहुंचने के बावजूद वियान मुल्डर ने इतिहास बनाने से खुद को रोक लिया, जो खेल भावना और सम्मान का बेहतरीन उदाहरण बन गया।
मुल्डर ने खुद बताया रिकॉर्ड न तोड़ने का कारण
मैच के बाद पोस्ट मैच प्रेजेंटेशन में मुल्डर ने अपनी भावना साझा करते हुए कहा:
"कोई नहीं जानता कि मेरे नसीब में क्या था, लेकिन ब्रायन लारा को ही यह रिकॉर्ड अपने नाम रखना चाहिए। उन्होंने यह उपलब्धि इंग्लैंड जैसी मजबूत टीम के खिलाफ हासिल की थी। मेरा मानना है कि हमने टीम के लिए पर्याप्त रन बना लिए थे। अगर भविष्य में फिर ऐसा मौका मिले, तो भी मैं यही करूंगा।"
मुल्डर ने आगे बताया कि उन्होंने साउथ अफ्रीका के कोच शुक्री कौनराड से भी इस विषय में बात की थी। कोच ने भी यही सलाह दी कि "दिग्गजों को उनका रिकॉर्ड रखने दीजिए, आपकी भूमिका टीम को जीत दिलाना है।"
साउथ अफ्रीका ने बनाई 405 रन की मजबूत बढ़त
मुल्डर की इस यादगार पारी के दम पर साउथ अफ्रीका ने पहली पारी में 5 विकेट पर 626 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। इसके जवाब में जिम्बाब्वे की टीम सिर्फ 170 रन पर सिमट गई। इसके चलते उन्हें फॉलो ऑन झेलना पड़ा और दूसरी पारी में भी वे संघर्ष कर रहे हैं।
अब तक जिम्बाब्वे 1 विकेट के नुकसान पर 51 रन बना चुका है, लेकिन अफ्रीका के पास 405 रन की बढ़त है और पारी की जीत की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में मुल्डर का आत्म-नियंत्रण और टीम की जीत को प्राथमिकता देना काबिल-ए-तारीफ है।
सोशल मीडिया पर मिल रही तारीफ
जहां क्रिकेट प्रेमी मुल्डर से लारा का रिकॉर्ड तोड़ने की उम्मीद कर रहे थे, वहीं उनके फैसले ने खेल भावना और परिपक्व सोच का एक नया उदाहरण पेश किया। सोशल मीडिया पर फैंस ने उनके फैसले की सराहना करते हुए कहा कि "आज के दौर में ऐसा सोचने वाले खिलाड़ी बिरले ही होते हैं।"
पूर्व क्रिकेटरों और विशेषज्ञों ने भी उनकी सोच को "क्लास" और "लीडरशिप का प्रतीक" बताया। भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने भी ट्वीट कर लिखा,
"लारा का रिकॉर्ड कायम, लेकिन मुल्डर ने दिल जीत लिया।"
इतिहास रचने के बजाय आदर्श प्रस्तुत किया
वियान मुल्डर के पास मौका था कि वो टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे बड़ा स्कोर बनाकर अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करें, लेकिन उन्होंने टीम की जीत और खेल के सम्मान को प्राथमिकता दी। ये आज के प्रतिस्पर्धी क्रिकेट युग में एक दुर्लभ उदाहरण है।
निष्कर्ष
वियान मुल्डर की 367 रन की पारी क्रिकेट इतिहास में दर्ज हो चुकी है, लेकिन उन्होंने जो नैतिकता और खेल भावना दिखाई, वह उन्हें एक अलग ही ऊंचाई पर ले जाती है। उन्होंने दुनिया को यह दिखा दिया कि रिकॉर्ड बनाना ही सब कुछ नहीं, बल्कि दिग्गजों का सम्मान और टीम का हित ज्यादा जरूरी होता है।