भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंचता दिख रहा है। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के संबंधों में आई तल्खी अब सैन्य स्तर पर सीधे टकराव की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है। इस बीच, पाकिस्तान ने लगातार दूसरे दिन मिसाइल परीक्षण कर अपनी सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन किया है, जबकि भारत ने भी बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यासों और ऑपरेशनल तैयारियों के जरिए कड़ा संदेश दिया है।
पाकिस्तान का मिसाइल परीक्षण: उकसावे या तैयारी?
सोमवार को पाकिस्तान ने ‘फतह’ नामक एक नई मिसाइल का परीक्षण किया, जिसकी मारक क्षमता 120 किलोमीटर तक है। यह परीक्षण ‘एक्सरसाइज सिंधु’ नामक सैन्य अभ्यास के दौरान किया गया। इससे ठीक दो दिन पहले, शनिवार को पाकिस्तान ने ‘अब्दाली वेपन सिस्टम’ का परीक्षण किया था, जो 450 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है।
पाकिस्तानी सेना के अनुसार, इन परीक्षणों का उद्देश्य उनकी सैन्य तकनीक और मिसाइलों की नेविगेशन प्रणाली की सटीकता को जांचना था। हालांकि रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह परीक्षण केवल तकनीकी अभ्यास नहीं, बल्कि क्षेत्रीय तनाव के माहौल में शक्ति प्रदर्शन का प्रयास है। यह भारत को अप्रत्यक्ष रूप से चेतावनी देने जैसा कदम भी माना जा रहा है।
पहलगाम आतंकी हमला: संबंधों में नई दरार
इन सैन्य गतिविधियों की पृष्ठभूमि में वह आतंकी हमला है, जिसने दोनों देशों के संबंधों को एक बार फिर टकराव की कगार पर ला खड़ा किया है। कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले में 26 लोगों की जान गई थी, और इसकी जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक आतंकी गुट ने ली थी। भारत ने इस घटना को सीधा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद बताया और कड़ी प्रतिक्रिया देने के संकेत दिए।
सरकार ने सिंधु जल संधि की समीक्षा शुरू कर दी है और पाकिस्तान के नागरिकों को दिए गए वीजा को भी रद्द किया गया है। इन कदमों से स्पष्ट है कि भारत इस बार पाकिस्तान के साथ “नो टॉलरेंस” नीति पर काम कर रहा है।
भारत का सैन्य शक्ति प्रदर्शन
पाकिस्तान की मिसाइल नीति के जवाब में भारत ने भी सैन्य ताकत के प्रदर्शन में कोई कोताही नहीं बरती। हाल ही में ‘आक्रमण’ नामक एक सैन्य अभ्यास किया गया, जिसमें राफेल, सुखोई जैसे आधुनिक फाइटर जेट्स और विशेष बलों की भागीदारी रही। इस अभ्यास में आधुनिक तकनीक और रणनीतिक तैयारियों का पूरा प्रदर्शन किया गया।
भारतीय नौसेना ने भी अपनी समुद्री रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन किया, जबकि भारतीय वायुसेना ने उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेसवे पर “लैंड एंड गो” ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इसका उद्देश्य यह दिखाना था कि भारत किसी भी स्थिति में अपने विमानों को युद्धभूमि के समीप उतार और उड़ा सकता है।
नियंत्रण रेखा पर तनाव और गोलीबारी
भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर भी स्थिति बेहद संवेदनशील बनी हुई है। 4-5 मई की रात को पाकिस्तान की सेना ने बिना किसी उकसावे के लगातार 11वीं बार सीजफायर उल्लंघन किया। जवाब में भारतीय सेना ने भी आक्रामक रुख अपनाते हुए मोर्चा संभाल लिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को “ऑपरेशनल फ्रीडम” दे दी है, जिससे यह संकेत गया है कि भारतीय सेना अब आतंकी हमले का जवाब अपने हिसाब से और किसी भी समय दे सकती है। यह अनुमति एक महत्वपूर्ण रणनीतिक संकेत है, जो दर्शाता है कि भारत अब केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहेगा।
क्षेत्रीय और वैश्विक चिंताएं
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु संपन्न राष्ट्र हैं, और ऐसे में इस तरह की सैन्य गतिविधियां दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका समेत कई देशों ने संयम बरतने की अपील की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही संवाद और कूटनीति का रास्ता नहीं अपनाया गया, तो यह तनाव किसी बड़ी सैन्य टकराव का रूप ले सकता है। खासकर कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस तरह की उकसावे वाली गतिविधियां नियंत्रण से बाहर जा सकती हैं।
निष्कर्ष: शांति की राह मुश्किल लेकिन जरूरी
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव एक बार फिर यह दिखाता है कि क्षेत्रीय स्थिरता कितनी नाजुक है। जहां पाकिस्तान अपनी सैन्य ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा है, वहीं भारत अपनी रणनीतिक प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट कर रहा है कि आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।
अब यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय और दोनों देशों की राजनीतिक नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वे इस स्थिति को नियंत्रण में लाएं और एक बार फिर संवाद की प्रक्रिया शुरू करें। वरना, एक छोटा सा उकसावा भी पूरे क्षेत्र को संकट में डाल सकता है।