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क्या है FATF? जिसकी ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान को फिर से शामिल कराना चाहता है भारत

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Posted On:Wednesday, May 28, 2025

भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने संघर्ष को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सफल संचालन के बाद भारत अब आतंकवाद को पनाह देने और फंडिंग करने वाले देशों के खिलाफ वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक मोर्चा खोल चुका है। इसके तहत भारत ने ‘कोऑर्डिनेटेड डिप्लोमैटिक कैंपेन’ शुरू किया है, जिसका प्रमुख उद्देश्य पाकिस्तान की भूमिका को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने बेनकाब करना है। इस अभियान के तहत भारत एक विस्तृत और प्रमाणिक डोज़ियर (Dossier) तैयार कर रहा है, जिसे फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) को सौंपा जाएगा।

FATF क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?

FATF (Financial Action Task Force) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसकी स्थापना 1989 में G7 देशों द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद की फंडिंग और अन्य वित्तीय अपराधों पर रोक लगाना है। यह संस्था देशों के आर्थिक आचरण की निगरानी करती है और उन्हें तीन सूचियों में रखती है – व्हाइट लिस्ट, ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट। ग्रे लिस्ट में शामिल देशों की आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखी जाती है और इन पर आर्थिक प्रतिबंध भी लग सकते हैं।

भारत का डोज़ियर: मजबूत सबूत और गहरी रणनीति

भारत द्वारा तैयार किया जा रहा डोज़ियर केवल आरोपों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्रमाणिक आंकड़े, खुफिया रिपोर्ट, और वित्तीय रिकॉर्ड्स शामिल किए जा रहे हैं। इन सबूतों के जरिए यह सिद्ध किया जाएगा कि पाकिस्तान लगातार उन आतंकी संगठनों को समर्थन दे रहा है जो भारत को निशाना बना रहे हैं। इसमें लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, और अन्य प्रतिबंधित संगठनों की गतिविधियों की पूरी जानकारी शामिल है।

भारत का तर्क है कि 2022 में FATF द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाए जाने के बाद भी उसने आतंकवाद को फंड करने और शरण देने का काम जारी रखा है। इस डोज़ियर में पाकिस्तान की गतिविधियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय इंटेलिजेंस एजेंसियों की रिपोर्ट्स और अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स को भी संलग्न किया जा रहा है।

पाकिस्तान का रक्षा बजट और वित्तीय प्राथमिकताएं

भारत का कहना है कि पाकिस्तान अपने राष्ट्रीय बजट का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा रक्षा पर खर्च करता है, जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक है। आमतौर पर संघर्ष प्रभावित देशों में यह औसत 10 से 14 प्रतिशत होता है। भारत के अनुसार, यह भारी भरकम सैन्य खर्च पाकिस्तान की आक्रामक नीतियों और आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने की मानसिकता को दर्शाता है।

पाकिस्तान का बढ़ता कर्ज और वित्तीय कुप्रबंधन

भारत ने अपने डोज़ियर में पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति का भी विश्लेषण किया है। इसके अनुसार, पाकिस्तान का विदेशी कर्ज लगातार बढ़ रहा है, और यह कर्ज का अधिकांश हिस्सा रक्षा बजट को सपोर्ट करने में उपयोग किया जा रहा है। यह संकेत देता है कि पाकिस्तान अपने घरेलू टैक्स रेवेन्यू से नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कर्ज से सेना और आतंकवादी संगठनों को फंडिंग दे रहा है।

भारत का मानना है कि यह एक गंभीर वित्तीय कुप्रबंधन है और इससे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे IMF और विश्व बैंक को सावधान होना चाहिए। भारत इन संस्थाओं से आग्रह कर रहा है कि वे पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता का पुनर्मूल्यांकन करें, ताकि अंतरराष्ट्रीय सहायता आतंकवाद को पनाह देने वाले किसी देश के हाथ में न जाए।

FATF में पाकिस्तान की दोबारा ग्रे लिस्टिंग की मांग

भारत अब FATF की आगामी बैठक में यह डोज़ियर पेश कर पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में शामिल करने की मांग करने वाला है। भारत का यह कदम वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। यदि FATF भारत की दलीलों से सहमत होता है, तो पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लग सकते हैं और उसे अंतरराष्ट्रीय सहायता प्राप्त करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

भारत का यह कूटनीतिक अभियान केवल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए भारत ने आतंक के खिलाफ अपनी सैन्य ताकत का परिचय दिया, और अब कूटनीतिक स्तर पर भी वह आतंक को जड़ से खत्म करने के मिशन पर निकल चुका है। भारत की यह पहल न केवल अपने देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी एक प्रेरक उदाहरण बन सकती है।


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