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अमेरिका-तुर्की के नागरिकों को डूबने से बचाया, भारतीय तटरक्षक बलों ने अंडमान से किया रेस्क्यू

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Posted On:Friday, July 11, 2025

भारतीय तटरक्षक बल (Indian Coast Guard) ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उसका आदर्श वाक्य "वयं रक्षाम" यानी "हम रक्षा करते हैं" केवल एक स्लोगन नहीं, बल्कि उसकी पहचान और कर्तव्य है। अंडमान-निकोबार के दूरस्थ समुद्री क्षेत्र में फंसी एक अमेरिकी नौका से दो विदेशी नागरिकों को सुरक्षित बचाकर भारतीय तटरक्षक बल ने मानवता, साहस और कर्तव्यपरायणता का एक अनूठा उदाहरण पेश किया है।


क्या है पूरा मामला?

घटना की शुरुआत तब हुई जब अमेरिकी नौका सी एंजल (Sea Angel) और उसके दो चालक दल, जिनमें एक तुर्की और एक अमेरिका का नागरिक शामिल था, अंडमान सागर के इंदिरा पॉइंट से लगभग 52 नॉटिकल मील दक्षिण-पूर्व दिशा में फंस गए।

तेज समुद्री तूफान और खराब मौसम की वजह से नौका का पाल फट गया, और वह रस्सियों में उलझने के कारण पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो गई। ऐसे में नाविकों ने तत्काल मदद की गुहार लगाई।


मदद के लिए भारतीय तटरक्षक बल आया आगे

इस घटना की जानकारी चेन्नई स्थित अमेरिकी दूतावास के जरिए पोर्ट ब्लेयर में मौजूद भारतीय तटरक्षक बल को दी गई। सूचना मिलते ही तटरक्षक बल ने बिना समय गंवाए आईसीजीएस राजवीर नामक पोत को बचाव कार्य के लिए रवाना किया।

13 घंटे की कठिन यात्रा और चुनौतीपूर्ण समुद्री परिस्थितियों के बावजूद, तटरक्षक बल के जवानों ने समय पर पहुंचकर ना केवल दोनों नागरिकों को सुरक्षित बचाया, बल्कि नौका को भी कैंपबेल बे तक सुरक्षित खींच लाए।


खराब मौसम बना वजह

इस पूरे हादसे की मुख्य वजह बना समुद्री मौसम का अचानक बिगड़ना

अंडमान सागर में अचानक तेज़ हवाएं और ऊंची लहरें उठीं, जिससे नौका का संतुलन बिगड़ गया। नौका का पाल फट गया और इंजन की रस्सियां भी उलझ गईं, जिससे चालक दल को नियंत्रित करना असंभव हो गया।


बचाव अभियान की खास बातें

  • सूचना स्रोत: अमेरिकी दूतावास, चेन्नई

  • लक्षित क्षेत्र: इंदिरा पॉइंट से 52 नॉटिकल मील दक्षिण-पूर्व

  • बचाव पोत: ICGS राजवीर

  • समय: 13 घंटे की लगातार निगरानी और प्रयास

  • स्थल: कैंपबेल बे तक सुरक्षित पहुंच


मानवता का दिया उत्कृष्ट उदाहरण

सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि इस नौका में तुर्की का नागरिक भी सवार था। गौरतलब है कि कुछ समय पहले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को समर्थन देने की कोशिश की थी, जो भारत के रणनीतिक हितों के खिलाफ माना गया। बावजूद इसके, भारतीय तटरक्षक बल ने राजनीति से ऊपर उठकर मानवता को सर्वोपरि रखते हुए दोनों नागरिकों को जीवनदान दिया।

यह सिर्फ एक बचाव नहीं था, यह दुनिया को यह संदेश देने का अवसर भी था कि भारत किसी भी संकट की घड़ी में मानव जीवन की रक्षा को सर्वोपरि मानता है।


नौका की मरम्मत की तैयारी

बचाव के बाद नौका को बंदरगाह पर लंगर डालकर मरम्मत के लिए तैयार कर दिया गया है। भारतीय तटरक्षक बल द्वारा नौका की प्राथमिक जांच की गई, और संभावित जोखिमों को दूर करते हुए इसे सुरक्षित स्थिति में लाया गया।


'वयं रक्षाम' को किया चरितार्थ

इस पूरे अभियान ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारतीय तटरक्षक बल न केवल भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा करता है, बल्कि संकट में फंसे हर व्यक्ति के लिए जीवनदाता भी है।

यह घटना उन अनगिनत मिशनों में से एक है, जो बताता है कि जब भी कोई संकट आता है, भारतीय तटरक्षक बल 'संकट सुमन' बनकर उपस्थित होता है।


निष्कर्ष

भारतीय तटरक्षक बल का यह ऑपरेशन साहस, समर्पण और सेवा का एक प्रेरणादायक उदाहरण है।
इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया कि भारत न केवल क्षेत्रीय शक्ति है, बल्कि वैश्विक मानवता का प्रहरी भी है।

चाहे कोई किसी भी देश का नागरिक क्यों न हो, अगर वह संकट में है और भारत को जानकारी मिलती है, तो मदद जरूर पहुंचेगी। यही है भारत की संस्कृति, यही है भारतीय तटरक्षक बल की आत्मा


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