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सूर्य में भयंकर विस्फोट का अलर्ट! क्या है Solar Maximum, सौर तूफान उठा तो धरती पर कैसे पड़ेगा असर?

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Posted On:Friday, July 11, 2025

सूर्य, जो पृथ्वी पर जीवन की ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है, अब एक बार फिर अपनी चरम स्थिति की ओर बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि सूर्य का यह उग्र रूप इस समय सोलर मैक्सिमम में प्रवेश कर चुका है, जो धरती और अंतरिक्ष दोनों के लिए गंभीर खतरे लेकर आ सकता है। यह खगोलीय स्थिति हर 11 साल में एक बार आती है, जब सूर्य की सतह पर सनस्पॉट्स यानी काले धब्बों की संख्या सबसे अधिक हो जाती है, जिससे विकराल सौर विस्फोट और तूफान उठने लगते हैं।

क्या है सोलर मैक्सिमम?

सोलर मैक्सिमम वह अवधि होती है जब सूर्य की सतह पर अत्यधिक गतिविधियां होती हैं। इसमें:

  • सौर ज्वालाएं (Solar Flares)

  • कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs)

  • भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storms)

जैसी घटनाएं अधिक होने लगती हैं। ये घटनाएं सूर्य से भारी मात्रा में ऊर्जा और आवेशित कणों को अंतरिक्ष में फेंकती हैं, जो यदि पृथ्वी की ओर आते हैं, तो हमारे संचार तंत्र, उपग्रहों, फ्लाइट्स, बिजली ग्रिड और यहां तक कि जलवायु को भी प्रभावित कर सकते हैं।


कौन रख रहा है सूर्य पर नजर?

इस समय दुनिया की शीर्ष अंतरिक्ष एजेंसियां सूर्य पर कड़ी निगरानी बनाए हुए हैं:

  • NASA का पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) सूर्य के बेहद करीब जाकर उसका अध्ययन कर रहा है।

  • NOAA का SWFO-L1 सैटेलाइट सोलर मैक्सिमम के संकेतों को मॉनिटर कर रहा है।

  • इसके अलावा, भारत, यूरोप, जापान की स्पेस एजेंसियां भी सौर गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं ताकि समय रहते चेतावनी दी जा सके।


कब से शुरू हुआ यह चक्र?

अक्टूबर 2024 में नासा और NOAA ने यह घोषणा की थी कि सूर्य सोलर मैक्सिमम में प्रवेश कर चुका है, और यह स्थिति कम से कम एक वर्ष तक बनी रह सकती है। इस समय के दौरान धरती और अंतरिक्ष में चल रहे मिशनों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।


धरती पर सोलर मैक्सिमम का प्रभाव

  1. सैटेलाइट्स को खतरा:

    • सोलर फ्लेयर्स की वजह से सैटेलाइट्स के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

    • कुछ सैटेलाइट्स डी-ऑर्बिट हो सकते हैं यानी अपने कक्षा से बाहर निकल सकते हैं।

  2. कम्युनिकेशन ठप हो सकता है:

    • रेडियो सिग्नल्स, नेविगेशन सिस्टम, GPS, रडार पर असर पड़ सकता है।

    • हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो वेव्स ब्लैकआउट का शिकार हो सकती हैं।

  3. फ्लाइट्स और स्पेस मिशन प्रभावित:

    • विशेष रूप से अंटार्कटिक और आर्कटिक से होकर जाने वाली फ्लाइट्स को खतरा।

    • स्पेस स्टेशन और वहां मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

  4. पॉवर ग्रिड फेल्योर:

    • जियोमैग्नेटिक तूफानों से बिजली ग्रिड ध्वस्त हो सकते हैं, जिससे ब्लैक आउट हो सकता है।

  5. धरती का तापमान और जलवायु पर असर:

    • लंबे समय तक सूर्य की उग्रता धरती के मौसम चक्र को बिगाड़ सकती है और ग्लोबल वॉर्मिंग को बढ़ा सकती है।


वैज्ञानिक क्या कहते हैं?

नासा और NOAA के वैज्ञानिकों का मानना है कि:

  • यह कोई अचानक आई आपदा नहीं है, बल्कि एक पूर्व निर्धारित खगोलीय घटना है।

  • उचित तैयारी और मॉनिटरिंग से इसके दुष्प्रभावों को काफी हद तक रोका जा सकता है।

  • स्पेस एजेंसियां लगातार सूर्य की सतह पर होने वाली गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं ताकि यदि किसी बड़े विस्फोट या सौर तूफान के संकेत मिलें तो धरती को समय रहते सतर्क किया जा सके।


घबराने की जरूरत नहीं, सतर्क रहने की जरूरत है

वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि आम जनता को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस तरह की गतिविधियां समय-समय पर होती रहती हैं। सोलर मैक्सिमम खतरनाक जरूर है, लेकिन इससे समय रहते निपटा जा सकता है। इसके लिए ज़रूरी है:

  • महत्वपूर्ण संस्थानों को अपने सिस्टम को सोलर इवेंट रेसिस्टेंट बनाना चाहिए।

  • आम लोगों को भी GPS, इंटरनेट या बिजली से जुड़ी अनियमितताओं के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए।


निष्कर्ष

सौर मैक्सिमम एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इसके परिणाम व्यापक हो सकते हैं। यह पृथ्वी को सीधे नुकसान पहुंचा सकता है यदि इससे संबंधित खतरे को अनदेखा किया जाए। नासा और अन्य स्पेस एजेंसियों की सतर्कता के चलते अब तक स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन इस एक साल के दौरान सतर्क रहना और तकनीकी ढांचों की सुरक्षा करना सबसे जरूरी है।


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