बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी में कचहरी से संदहा मार्ग चौड़ीकरण के दौरान सोमवार को पुलिस लाइन से कचहरी तक कुल 13 मकानों पर बुलडोजर चला। इनमें पूर्व ओलंपियन और पद्मश्री से सम्मानित हॉकी खिलाड़ी स्वर्गीय मोहम्मद शाहिद का घर भी शामिल था। परिवार के विरोध और बहस के बावजूद प्रशासन ने कार्रवाई पूरी कर दी। शाहिद के परिजनों का कहना है कि उन्हें न मुआवजा मिला और न ही पुनर्वास की व्यवस्था की गई।
कार्रवाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें एक बुजुर्ग पुलिस अधिकारी से हाथ जोड़कर मोहलत मांगते नजर आ रहे हैं – “मिश्रा जी, मैं आपके पैर पकड़ रहा हूं... बस आज की मोहलत दे दीजिए, कल हटा लेंगे।” इस वीडियो को अखिलेश यादव ने भी शेयर किया और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए। वहीं परिवार का कहना है कि उनके पास रहने के लिए दूसरा मकान नहीं है और शादी जैसे जरूरी अवसर के बावजूद उन्हें बेघर कर दिया गया।
प्रशासन ने अपनी सफाई में कहा कि मकान में रहने वाले नौ सदस्यों में से छह ने मुआवजा ले लिया था। बाकी सदस्यों ने समय तो मांगा, लेकिन दस्तावेज जमा नहीं किए। एडीएम सिटी आलोक वर्मा का कहना है कि किसी भी हिस्से को बिना वजह नहीं तोड़ा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि तीन सदस्यों के हिस्से पर स्टे ऑर्डर था, इसलिए उस हिस्से को छोड़ दिया गया।
लोक निर्माण विभाग ने सड़क चौड़ीकरण के पहले चरण में संदहा से पुलिस लाइन तक का काम पूरा कर लिया था। अब पुलिस लाइन से कचहरी के बीच 59 मकानों को तीन चरणों में गिराया जा चुका है। प्रशासन का दावा है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से कानून के मुताबिक की जा रही है, लेकिन शाहिद का परिवार इसे प्रशासनिक ज्यादती बता रहा है।