वाराणसी न्यूज डेस्क: बनारस को ‘मिनी बिहार’ के नाम से जाना जाता है। यहां के काशी घाटों पर छठ महापर्व की भव्यता देखने को मिलती है। हालांकि, इस बार व्रती महिलाओं को घाटों पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, खासकर घाटों पर जमा सिल्ट के कारण। छठ पूजा का आयोजन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होता है और सप्तमी तिथि पर समाप्त होता है। इस बार छठ महापर्व 5 नवंबर से 8 नवंबर तक मनाया जाएगा, जिसमें 7 नवंबर की शाम से 8 नवंबर की सुबह तक गंगा घाटों पर भारी भीड़ जुटने की संभावना है।
वाराणसी: बनारस को ‘मिनी बिहार’ के नाम से जाना जाता है, जहां काशी के घाटों पर छठ महापर्व की विशेष रौनक देखने को मिलती है। हालांकि, इस बार व्रती महिलाओं को घाटों पर कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, खासकर वाराणसी के घाटों पर जमा सिल्ट के कारण। यह स्थिति इस समय स्पष्ट दिखाई दे रही है। छठ पूजा का आयोजन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तिथि पर समाप्त होता है। इस साल छठ महापर्व 5 नवंबर से 8 नवंबर तक मनाया जाएगा, जिसमें 7 नवंबर की शाम से 8 नवंबर की सुबह तक गंगा घाटों पर भारी भीड़ जुटने का अनुमान है।
वाराणसी का अस्सी घाट जहां बाढ़ के बाद जमा सिल्ट नगर निगम के साथ-साथ व्रती महिलाओं के लिए भी परेशानी का कारण बन सकती है। हालांकि, वाराणसी नगर निगम इस सिल्ट को हटाने का कार्य तेजी से कर रहा है। इस प्रयास के तहत 70 से अधिक श्रमिकों को अस्सी घाट पर मिट्टी के समतलीकरण के लिए तैनात किया गया है।
रविवार को वाराणसी के महापौर अशोक तिवारी ने घाटों की तैयारियों का जायजा लिया, जिसके बाद सोमवार को वाराणसी के डीएम एस राजलिंगम ने भी स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने घाट के समतलीकरण का काम 24 घंटे में पूरा करने का अल्टीमेटम दिया। यदि निर्धारित समय में कार्य पूरा नहीं होता है, तो सफाई के कार्य में लगे ठेकेदार की फर्म को ब्लैकलिस्ट करने की चेतावनी भी दी गई।
डीएम एस राजलिंगम ने कहा कि छठ और देव दिवाली जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों को देखते हुए यह सफाई अभियान चलाया जा रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को पूजा और स्नान के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।