वाराणसी न्यूज डेस्क: इस समय जलवायु परिवर्तन मानव सभ्यता के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है। पृथ्वी मंत्रालय इस चुनौती का सामना करने के लिए प्रतिबद्ध है, और 2047 तक देश इस दिशा में पूरी तरह सक्षम हो जाएगा। यह जानकारी डॉ. एम. रविचंद्रन ने बीएचयू के भूगर्भ विज्ञान विभाग में आयोजित संगोष्ठी के दौरान दी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन-2047 की चर्चा की और कहा कि जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक स्तर पर चिंतन-मनन चल रहा है। डॉ. रविचंद्रन ने मंत्रालय के विभिन्न परियोजनाओं का भी उल्लेख किया, जिनमें 'मिशन मौसम', 'ब्लू इकोनामी', 'पोलर मिशन', और 'भूकंप का पूर्वानुमान' शामिल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि विज्ञान मानव और समाज की सेवा के लिए है, और मंत्रालय इसी सिद्धांत पर कार्य कर रहा है। विभागाध्यक्ष प्रो. अरुणदेव सिंह ने इस मौके पर विभाग की प्रमुख उपलब्धियों का जिक्र किया और भविष्य की योजनाओं के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की।
एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन प्रो. विंध्याचल पांडेय और प्रो. आलोक कुमार सैनी के नेतृत्व में हुआ, जिसमें देशभर के नामी वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर बेंगलुरु से डॉ. सम्बुद्ध मिश्रा, कोलकाता से डॉ. तरुण दलाई, पीआरएल के डॉ. अरविंद सिंह और एनसीपीएओआर के डॉ. रहमान मौजूद थे। कार्यशाला की अध्यक्षता बीएचयू के रजिस्ट्रार प्रो. अरुण कुमार सिंह ने की, जबकि विज्ञान संकाय के डीन प्रो. एसके उपाध्याय विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। संचालन का कार्य प्रो. अमिया शंकर नायक और डॉ. शुभम त्रिपाठी ने किया। इस दौरान प्रो. राजेश श्रीवास्तव, प्रो. पीके सिंह, डॉ. आशालता सिंह और प्रो. जय कृष्णा के साथ-साथ शोध छात्र और विभाग के कर्मचारी भी शामिल हुए।