वाराणसी न्यूज डेस्क: हर साल दीपावली के समय पटाखों से जलने की समस्या के कारण कई लोग अस्पताल पहुंचते हैं। जिले की कुल आबादी 43 लाख होने के बावजूद बर्न वार्ड में केवल 30 बेड की सुविधा उपलब्ध है। मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा में बर्न वार्ड में 20 बेड हैं, जबकि बीएचयू में लगभग 10 बेड का वार्ड बना हुआ है। इन दोनों के अलावा किसी अन्य अस्पताल में बर्न वार्ड की सुविधा नहीं है।
ऐसी स्थिति में यदि कोई मरीज इमरजेंसी में आता है तो सर्जन और अन्य डॉक्टर उसका इलाज करते हैं। समस्या तब और बढ़ जाती है जब जलने की कोई बड़ी घटना होती है और इलाज के लिए प्लास्टिक सर्जन की आवश्यकता होती है।
जिले के सरकारी अस्पतालों में इस बार भी प्लास्टिक सर्जन की कमी पूरी नहीं हो पाई है। इस कारण अगर दीपावली पर कोई दुर्घटना होती है तो बिना प्लास्टिक सर्जन के ही जलने वाले मरीजों का उपचार करना पड़ेगा।
जिले में हर साल दीपावली और उसके अगले दिन लोग पटाखों से हाथ जलने और झुलसने जैसी समस्याओं के साथ इमरजेंसी वार्ड में आते हैं। गंभीर मरीजों को पहले मंडलीय अस्पताल के बर्न वार्ड में भर्ती कराया जाता है, लेकिन अगर प्लास्टिक सर्जन की जरूरत हो तो उन्हें बीएचयू रेफर किया जाता है। लगभग दस साल पहले मंडलीय अस्पताल में प्लास्टिक सर्जन के रूप में डॉ. ए.के. प्रधान थे, लेकिन उनके सेवानिवृत्त होने के बाद से अब तक किसी नए डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हो सकी है।